राम वन गमन , राम-केवट संवाद का मंचन

जौनपुर। आदर्श रामलीला समिति जमालपुर-मदारपुर के तत्वावधान में राम वन गमन के प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया गया। राजा दशरथ के मन्त्री सुमन्त मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण गंगा नदी के तीर पर छोड़कर अयोध्या वापस लौट गये। इधर भगवान राम नदी पार करने हेतु केवट से अनुरोध करते हैं। केवट प्रभु राम से आशंका प्रकट करते हुए कहने लगा कि आपके चरणों की धूलि का स्पर्श पाकर पत्थर भी स्त्री बन जाता है तो मेरी नाव तो काठ से निर्मित है. रावरे दोष न पायन को पग धूरि को भूरि प्रभाउ महा है पाहन ते बन बाहन काठ को कोमल है जन्म खाइ रहा है। श्रद्धालु देर रात तक राम-केवट संवाद का आनन्द उठाते रहे। कार्यक्रम में केवट बने सत्य प्रकाश, राम बने आशुतोष तथा सीता बने पिष्टू सरोज का अभिनय सराहनीय रहा। रामलीला में निषाद राज व उनके सैनिक मन्त्रीशाह, बहाव शाह, पप्पू शाह आदि ने अपने अभिनय से गंगा-जमुनी तहनिय तहजीब का उदाहरण प्रस्तुत किया आगन्तुकों का अभिवादन डा0 राम कृष्ण यादव तथा आभार ज्ञापन राजकुमार यादव ने किया।