नई दिल्ली। अमेरिकी मंदी की आशंका के कारण यूएस आईटी कंपनियों के नतीजों पर इसका साफ असर देखने को मिल रहा है। सितंबर तिमाही उम्मीद में कमजोर प्रदर्शन के कारण अल्फाबेट इंक (गूगल की पेरेंट कंपनी) और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प के शेयरों में 9.6 प्रतिशत और 7.7 प्रतिशत की तेज गिरावट दिखाई दी। इन दिग्गज तकनीकी कंपनियों का बिजनेस प्रभावित होने से इसका असर इंडियन आईटी कंपनियों पर भी देखने को मिल सकता है। दरअसल भारतीय आईटी इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा बिजनेस यूरोप और यूएस जैसे देशों से ही मिलता है। टीसीएस और इंफोसिस के रेवेन्यू में उत्तरी अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा है। बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी बड़ा झटका लगा है। इतना ही नहीं मंदी की आशंका के कारण कई कंपनियां अपने आईटी बजट को कम करने के लिए मजबूर हुई हैं। इससे टेक कंपनियों के प्रोडक्ट्स और सर्विसेज सीधे तौर पर प्रभावित हुई है। अमेरिका और यूरोप में खराब मैक्रोइकॉनॉमिक हालात ऑर्डर फ्लो, बिजनेस ग्रोथ और रेवेन्यू के चलते भारतीय आईटी कंपनियों का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहने की उम्मीद हैं, इनके शेयर की कीमतें कम रह सकती है। इस साल 2022 में आईटी इंडेक्स अब तक 26 फीसदी टूट गया है। वहीं, अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी और गहराने से भारतीय आईटी कंपनियों के अर्निंग ग्रोथ पर असर पड़ेगा। पिछले 6 महीनों में म्यूचुअल फंड्स ने आईटी शेयरों में अपनी हिस्सेदारी काफी कम कर दी है। मार्च के आखिरी तक म्युचुअल फंड हाउस के पास अपने इक्विटी एयूएम का 13 प्रतिशत आईटी शेयरों में था, लेकिन सितंबर तक यह आंकड़ा आधे से ज्यादा कम होकर 6.17 फीसदी हो गया।
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