कौशाम्बी।कृषकों द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन यथा-पराली/पुवाल/पैरा/ठूॅठ एवं केले का तना इत्यादि फसल अपशिष्ट जलाये जाने से वायु अत्यन्त ही प्रदूषित व जहरीली हो जाती है, इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, नई दिल्ली द्वारा फसलों की कटाई के उपरान्त बचे हुए भूसे को जलाया जाना प्रतिबन्धित करते हुए अर्थदण्ड का प्राविधान किये जाने के निर्देश दिये गये है। इस निर्देश के अनुपालन में मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश द्वारा विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किये गये है कृषि अपशिष्ट को जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है तथा इसका कृषि एवं मानव स्वास्थ्य, दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कराने के निर्देश दियें हैं राजस्व विभाग एवं कृषि विभाग के ग्राम पंचायत/न्याय पंचायत स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों को उत्तरदायी बनाया जाय कि वे कृषि अपशिष्टों को जलाये जाने की घटना के 24 घण्टे के अन्दर सूचनायें अपने-अपने उच्चाधिकारियों को क्रमशः तहसीलदार एवं उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी को प्रस्तुत करें तथा राजस्व ग्राम के लेखपाल की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनायें बिल्कुल न होने दें, अन्यथा उनके विरूद्ध भी कार्यवाही की जाएगी नायब तहसीलदार द्वारा कृषि अपशिष्ट जलाये जाने का संज्ञान लेते हुये सम्बन्धित विपक्षी को नोटिस जारी की जायेंगी और विपक्षी तथा रिपोर्ट करने वाले कर्मचारी/अधिकारी को सम्यक रूप से सुनकर अपनी आख्या तहसीलदार को प्रस्तुत की जायेगी। तहसीलदार द्वारा विपक्षी को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति आरोपण के लिए कारण बताओ नोटिस निर्गत की जायेंगी, इस आदेश की प्रति विपक्षी के साथ-साथ रिपोर्ट करने वाले कार्मिक तथा सम्बन्धित लेखपाल को प्रेषित की जायेंगी और विपक्षी को सुनकर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति आरोपित की जायेगी यथा-02 एकड़ से कम भूमि वाले कृषक के लिए 2500 रुपए प्रति घटना व 02 एकड़ से अधिक, किन्तु 05 एकड़ तक भूमि रखने वाले लघु कृषकों के लिए 5000 रुपए प्रति घटना एवं 05 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले बड़े कृषकों के लिए 15000 रुपए प्रति घटना आरोपित की जायेगी, इस घटना की पुनरावृत्ति होने पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-26 एवं एक्ट संख्या-14/1981 की धारा-19 के अन्तर्गत अभियोजन की कार्यवाही कर नियमानुसार कारावास या दोनों से दण्डित कराया जाएगी ग्राम पंचायतों तथा ग्राम प्रधानों को भी पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु जागरूक किया जाय फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम (एस०एम०एस०) अथवा स्ट्रारीपर अथवा स्ट्रारेक एवं बेलर या अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र का उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा। फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्रों या अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन वाले यन्त्रों के बिना यदि कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन चलती हुयी पायी जाती है तो तत्काल सीज किये जाने की कार्यवाही की जायेंगी व कम्बाईन हार्वेस्टर स्वामी के व्यय/खर्चे पर ही सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेन्ट सिस्टम (एस०एम०एस०) लगवाने के उपरान्त ही छोड़ी जायेंगी जिलाधिकारी ने सभी उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि शासन के निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय तथा जनपद में फसल अवशेष/कृषि अपशिष्ट जलाये जाने की घटना न होने पाये।
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