इंड‍िगो एयरलाइन में व‍िवाद भाषा को लेकर पैदा हुआ विवाद, महिला को सीट बदलने को कहा

हैदराबाद। इंड‍िगो एयरलाइन में फ‍िर व‍िवाद खड़ा हो गया है। इस बार व‍िवाद भाषा को लेकर पैदा हुआ है। दरअसल, गत 16 स‍ितंबर को इंड‍िगो फ्लाइट में आईआईएम अहमदाबाद की एक अस‍िस्‍टेंट प्रोफेसर (श‍िक्षा) सफर कर रही थीं।अस‍िस्‍टेंट प्रोफेसर देवस्मिथ चक्रवर्ती विजयवाड़ा से हैदराबाद के लिए फ्लाइट में सवार थीं। इस दौरान एयरलाइन चालक दल ने हिंदी या अंग्रेजी नहीं समझने वाली मह‍िला यात्री को जबर्दस्‍ती सीट बदलने के ल‍िए मजबूर क‍िया। एयरलाइन क्रू मैंबर ने मह‍िला पैसेंजर को सुरक्षा का हवाला देकर यह सब करने को कहा। प्रोफेसर की ओर से मामले में क‍िए गए ट्वीट के बाद बवाल खड़ा हो गया। तेलंगाना सरकार में मंत्री और टीआरएस अध्यक्ष कल्वकुंतल तारक रामाराव ने अपने ट्वीटर हैंडल पर इस मामले को र‍िट्वीट करते हुए ल‍िखा इंडिगो प्रबंधन, मैं आपसे स्थानीय भाषाओं और उन यात्रियों का सम्मान करना शुरू करने का अनुरोध करता हूं, जो अंग्रेजी या हिंदी में अच्छी तरह से वाकिफ नहीं हैं। क्षेत्रीय मार्गों में स्थानीय भाषा जैसे तेलुगु, तमिल, कन्नड़ आदि बोलने वाले स्‍टॉफ की ज्‍यादा भर्ती कर सकते हैं। यह एक अच्‍छा समाधान होगा। घटना के बारे में प्रोफेसर ने बताया क‍ि महिला 2ए सीट पर बैठी थी, लेकिन क्रू मैंबर टीम ने उसको 3सी में जाने के लिए मजबूर किया गया। बताया गया क‍ि मह‍िला पैसेंजर केवल तेलुगु भाषा ही समझती थी, उसको अंग्रेजी या हिंदी नहीं आती थी। इस पर अटेंडेंट ने मह‍िला को सुरक्षा का हवाला देकर ऐसा करने के ल‍िए मजबूर क‍िया। अटेंडेंट ने कहा क‍ि एपी से तेलंगाना के लिए इंड‍िंगो फ्लाइट में उनके पास तेलुगु में कोई निर्देश नहीं है। इसल‍िए सुरक्षा के लिहाज से उन्हें सीट बदलनी होगी क्योंकि वह अंग्रेजी व ह‍िंदी नहीं समझती हैं। उन्‍होंने यह भी ल‍िखा क‍ि अगर हम दु:खी हैं, तब हमें (उसे नहीं) शिकायत करनी चाहिए।उन्‍होंने इस बात पर जोर देकर कहा क‍ि उनके अपने ही राज्‍य में गैर ह‍िंदी नागर‍िकों को दूसरे दर्जे का नागर‍िक समझा जा रहा है। उनकी कोई गर‍िमा नहीं है। अस‍िस्‍टेंट प्रोफेसर ने इंडिगो के अधिकारियों से मामले को उठाने और बदलाव करने को कहा है। आमतौर पर एग्जिट रो सीट गर्भवती महिलाओं या बुजुर्ग लोगों को दी जाती है, जो नियमित सीटों पर नहीं बैठ सकते। महिला यात्री ने एक्सएल सीट के लिए भुगतान भी किया होगा। लेक‍िन मह‍िला पैसेंजर आपातकालीन हिंदी या अंग्रेजी न‍िर्देशों को नहीं समझती थी, इसलिए उसको अपनी सीट को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेक‍िन महिला यह नहीं समझ सकी क‍ि आख‍िर उसको अपनी सीट को क्‍यों बदलना पड़ा।