नई दिल्ली। दुनिया भर की मुनाफा देने वाली 500 कंपनियों में, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धनी अडानी समूह की एक भी कंपनी नहीं है। इसको लेकर सारी दुनिया का कारपोरेट जगत आश्चर्य में है। रिसर्च कंपनी द्वारा मुनाफे वाली 500 कंपनियों की जो सूची जारी की है। उसमें भारतीय जीवन बीमा निगम का 91वां नंबर है। भारतीय कंपनियों में दूसरा नंबर रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह का है। यह 104 वें नंबर पर मुनाफा देने वाली कंपनी है। रिसर्च एजेंसी ने दुनिया भर की सभी कारपोरेट कंपनियों के मुनाफे के आधार पर 500 कंपनियों की सूची जारी की है। उसमें भारत की 9 कम्पनियां है।दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों की सूची में गौतम अडानी का नाम में तीसरे नंबर पर है। 8 वर्ष पहले 39000 करोड़ का अडानी समूह वर्तमान में 12 लाख करोड़ रुपए की कंपनी बन गई है। अडानी समूह की यह हैसियत मार्केट केपीटलाइजेशन के कारण संभव हुई है। पूंजी निवेश और मुनाफे से अडानी समूह की कंपनियों का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। अडानी समूह की जो कंपनियां हैं, वह शेयर मार्केट में सूचीबद्ध हैं। शेयर मार्केट की तेजी तथा अडानी समूह की कंपनियों के शेयर प्रीमियम को लेकर जो पूंजीकरण हुआ है। उससे वह दुनिया के तीसरे नंबर के धनी व्यक्ति बने हैं।कारपोरेट जगत सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात पर कर रहा है, कि अडानी समूह के ऊपर लगभग 2.50 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बैंकों और विदेशी कर्जदारों का है। अडानी समूह की कंपनियों का मार्केट कैप 12 लाख करोड़ रुपए के आसपास है। अदानी समूह की 7 कंपनियों में शीर्ष पर अडानी गैस है जिसका 3.90 लाख करोड़ का मार्केट कैप है। इस कंपनी का मुनाफा मात्र 1000 करोड़ रुपए है। अडानी समूह में एलआईसी ने 4 फ़ीसदी निवेश कर रखा है। अर्थात अडानी समूह में 4 फ़ीसदी शेयर एलआईसी के हैं। अडानी समूह की कंपनियों पर 2.50 लाख करोड़ का कर्ज है। अदानी समूह की 7 कंपनियों का मार्केट कैप 2.1 लाख करोड़ रुपए का है। जबकि इन कंपनियों का वार्षिक मुनाफा मात्र 80000 करोड़ रूपया है। रेटिंग एजेंसी ने कुछ दिन पहले अडानी समूह के कर्ज और मुनाफे को लेकर चिंता जाहिर की थी।भारतीय शेयर बाजार, दुनिया भर के शेयर बाजारों से अलग चल रहा है। भारतीय शेयर बाजार में सट्टेबाजी के कारण कृत्रिम उतार-चढ़ाव सबसे ज्यादा है। भारतीय जीवन बीमा कंपनी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की कंपनियों के 7.50 फ़ीसदी शेयर ले रखे हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम ने अडानी समूह की कंपनियों के 4 फ़ीसदी शेयर ले रखे हैं। मार्केट के उतार-चढ़ाव के कारण एलआईसी 1100 फीसदी मुनाफा देने वाली कंपनी बन गई है। जब-जब शेयर बाजार में गिरावट आती है। एलआईसी सहित भारत की नवरत्न कंपनियां, बैंक शेयर बाजार में निवेश करती हैं। सरकार के इशारे पर यह निवेश कुछ चुनिंदा कंपनियों पर ही किया जाता है। उसमें अडानी और रिलायंस समूह शामिल है। म्यूचल फंड और प्रोविडेंट फंड भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं। जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार पिछले 8 वर्षों में भारत सरकार, रिलायंस और अडानी के इशारे पर नाच रहा है।भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत बड़े-बड़े दावे होते हैं।वास्तविकता यह है कि 500 कंपनियों की सूची में भारत की केवल 9 कंपनियां ही शामिल हैं। इन मुनाफे वाली सरकारी कंपनियों में भी भारत सरकार निजी क्षेत्र में विनिवेश कर निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ा रही है। भारतीय शेयर बाजार 1993 का एक झटका देख चुका है। उस समय भारत का पैसा भारत के पास था। 2004 के बाद से शेयर बाजार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश और मुनाफा वसूली होती है। भारतीय शेयर बाजार की सट्टेबाजी और कृत्रिम उतार-चढ़ाव के कारण भारतीय कंपनियों की असलियत सामने आ गई है। अडानी समूह को केंद्र सरकार का संरक्षण प्राप्त है। जिसके कारण गौतम अडानी ने रिलायंस समूह को भी पीछे छोड़ दिया है। दुनिया भर के निवेशक और कंपनियां अडानी समूह के माध्यम से भारत में कारोबार करने के लिए प्रवेश कर रही हैं। उसके बाद भी अडानी समूह की कंपनियों का मुनाफा लागत की तुलना में ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यदि किसी कारणवश शेयर बाजार में विपरीत असर होता है। ऐसी स्थिति में भारत के बैंक, भारत के आम निवेशक, म्यूचल फंड की कंपनियां, एलआईसी और बैंकों के जमाकर्ताओं का भारी नुकसान होना तय है।आर्थिक मंदी, बढ़ती हुई, ब्याज दरें, बेरोजगारी इत्यादि की समस्या से दुनिया भर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। ऐसी स्थिति में भारतीय कंपनियों में लागत के मुकाबले मुनाफा बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान स्थिति को सबसे बड़ा जोखिम माना जा रहा है। इस रिपोर्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर के विदेशी निवेशकों को ऊपर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है, जो भारतीय शेयर बाजार को मंदी की ओर ढकेल सकता है।
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