हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान ,यही है राष्ट्र की पहचान

जौनपुर। सरजू प्रसाद शैक्षिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था जज कॉलोनी के तत्वावधान में हिंदी दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने कहा कि हिंदी का समूचा इतिहास हिंदी का जन्म संत साहित्यकारों के द्वारा हुआ है तुलसी, सूर, जायसी, कबीर और मीरा है। हिंदी को की दो धाराएं रही सिद्ध और बद्ध । हिंदी के आंदोलन को खड़ा करने में महावीर प्रसाद द्विवेदी, भारतेंदु हरिश्चंद्र ,खत्री जी, और श्यामसुंदर दास। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार गिरीश श्रीवास्तव गिरीश ने पढ़ा रस छंद अलंकार का अनुपम प्रबंध है। चारों तरफ से आ रही हिंदी का की गंध है। रससिकत कर रही हैं हिंदी गिरीश को निखरी हुई है हिंदी बिखरी सुगंध है ।। मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य बीआरपी इंटर कॉलेज डॉक्टर सुभाष सिंह ने कहा हम खुद हिंदी विरुद्ध है हम खुद अपने बच्चे को हिंदी नहीं पढ़ाना चाहते। यह एक विडंबना है । हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान ,यही है मेरे राष्ट्र की पहचान ।जीवन जो धरा पर आया है हिंदू उत्पत्ति में सभी की समानता एक है। भाषाएं, सोच बट गई है जो हमारा सनातन धर्म है जो हिंदस्थ हो जाता है हिंदी में हमारा धर्म और संस्कृति छिपी है। हम पाश्चात्य सभ्यता का नकल कर रहे हैं ।राजेंद्र प्रसाद ने कहा था हिंदी बचाओ राष्ट्र को बचाओ । हमारा उद्देश्य है हिंदी को विश्व पटल पर लाना है । संचालन करते हुए मध्यस्था अधिकारी डॉ0 दिलीप सिंह ने कहा कि हिंदी विश्व की सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है। यह वैज्ञानिक रूप से भी सर्वाेत्तम है। इसका शब्द कोष साहित्य भाषा ज्ञान विज्ञान संसार के हर साहित्य से बड़ा है ।लेकिन दुर्भाग्य है कि अपने देश में ही राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई तो फिर संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतरराष्ट्रीय भाषा कैसे बनेगी।हित्यकार फूलचंद भारती ने हिंदी रामायण संग गीता का उपदेश दिलाती है। हिंदी सत्य ,अहिंसा परम धर्म का पाठ सिखाती है। उक्त अवसर पर सभी साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया । पत्रकार रविंद्र मिश्रा ,सुधाकर शुक्ला ,दीपक श्रीवास्तव विश्वजीत, सागर श्रीवास्तव अतुल इत्यादि ने भी अपने विचार रखे । संयोजक संजय उपाध्याय संस्था सचिव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।