बाँदा।जनपद के गांवों में अब पोषण पंचायतों का गठन किया जाएगा। इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है। इन पंचायतों के गठन का मुख्य उद्देश्य गांव की महिलाओं को सशक्त करते हुए उनको स्वयं तथा अपने समुदाय के बच्चों और किशोरियों व अन्य महिलाओं को पोषित व स्वस्थ रखना है।पोषण पंचायत की अध्यक्षता ग्राम समुदाय अथवा स्थानीय महिला करेंगी। ग्राम प्रधान अगर महिला हो तो उसके माध्यम से अथवा ग्राम सभा की किसी एक महिला सदस्य की अध्यक्षता में पोषण पंचायत का गठन किया जाएगा। पोषण पंचायत के सदस्य के रूप में 10-15 महिलाओं को नामित किया जाएगा। यह महिलाएं आईसीडीएस विभाग की लाभार्थी महिलाएं अथवा आंगनबाड़ी केन्द्र के लाभार्थियों की अभिभावक हो सकती हैं। यह भी जरूरी है कि यह महिलाएं समुदाय के वंचित समूह से हों जिससे कि उनके प्रतिनिधित्व से समस्याओं का निराकरण हो सके।आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम अधिकारी राम प्रकाश ने जिलाधिकारी अनुराग पटेल के निर्देश और मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य के पत्र का हवाला देत हुए बताया कि वर्ष 2018 से राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जा रहा है। इस वर्ष पूरे माह चार बेसिक थीम- महिला एवं स्वास्थ्य, बच्चा शिक्षा-पोषण भी पढ़ाई भी, लैंगिंक संवेदनशीलता, जल संरक्षण व प्रबंधन और आदिवासी क्षेत्र में महिलाओं व बच्चों के लिए पारंपरिक खानपान आदि पर काम किया जाएगा।पोषण पंचायत की सदस्यों द्वारा कम वजन के शिशु, अति कुपोषित, कुपोषित और गम्भीर रूप से कम वजन वाले बच्चों के पोषण श्रेणी के स्तर में बदलाव की जानकारी ली जाएगी।जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि आईसीर्डीएस के अलावा स्वास्थ्य, पंचायतीराज, शिक्षा, कृषि, पशु, ग्रामीण जलापूर्ति, उद्यान, ग्राम्य विकास विभाग व टीएसयू, यूनिसेफ इत्यादि को भी जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि नवजात शिशुओं के साप्ताहिक वजन और उनके घर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहु द्वारा किए गए भ्रमण की स्थिति का आंकलन किया जाएगा। जन्म के समय कम वजन और पांच वर्ष से कम उम्र के कुपोषित बच्चों की संख्या उसके कारणों, पोषण व्यवहार में कमी, सेवाओं की पहुंच तथा उपलब्धता पर भी चर्चा होगी।
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