नई दिल्ली। जीएसटी कानून में बड़ी तेजी के साथ बार-बार परिवर्तन किए जा रहे हैं। जल्दबाजी में बनाए गए कानूनों का लाभ कम और मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाती हैं। बार-बार के संशोधन करने से व्यापारियों, उद्योगपतियों एवं सेवा के करदाताओं को आर्थिक एवं मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड कराने या एडजेस्ट करने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। 3 दिन पहले नया नोटिफिकेशन जारी हुआ है। नए नियम के अनुसार टैक्स क्रेडिट यदि टैक्स से अधिक है, तो नेगेटिव क्रेडिट के रूप में जमा रहेगी। अगले महीने के टैक्स पेमेंट रिटर्न में जीएसटीआर 3 बी में उसका समायोजन कराया जा सकेगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत टैक्स देनदारी के बाद बची क्रेडिट प्राप्त करने के लिए 3 से 4 माह का इंतजार करना पड़ता था। नए नियम के अनुसार केवल 1 महीने में ही सारी क्रेडिट का निपटारा संभव हो सकेगा। नए नियम में व्यापारी पूरे साल के कारोबार की टैक्स क्रेडिट एक ही बार में ना तो क्लेम कर सकता है, और ना ही ज्यादा ली गई टेक्स को रिवर्स कर पाएगा। नए नियम के अनुसार जीएसटीआर-2 बी में जितनी टैक्स क्रेडिट दिखाई गई है।उतना ही क्लैम संभव हो सकेगा। अगर करदाता टेक्स फ्री वस्तुओं का कारोबार करता है। उस पर क्रेडिट नहीं मिलती। अगर वह उधारी पर माल लेता है,तो उसकी टैक्स क्रेडिट तभी क्लेम कर सकता है। जब वह भुगतान करेगा। जीएसटी कानून में सरकार में टैक्स क्रेडिट को अगले माह में एडजेस्ट करने की जो सुविधा दी है। टैक्स क्रेडिट की गणना के नियमों को और भी सख्त बनाया है। नए नियमों के मकड़जाल से करदाता की मुसीबतें और बढ़ेगी। ऐसा कर विशेषज्ञों का कहना है।
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