नयी दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत पर शुक्रवार को बिताए समय को एक ऐतिहासिक अवसर बताया और कहा कि वह उन पलों की अनुभूतियों को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते।प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रांत पर सवार होने पर हुई गर्व की अनुभूति को शनिवार को ट्विटर पर साझा किया और उन्होंने उसका एक वीडियो भी शेयर किया।प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन! जब मैं कल आईएनएस विक्रांत पर सवार था, तो गर्व की उस भावना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। ”मोदी ने 262 मीटर लंबे, 62 मीटर चौड़े और 59 मीटर ऊंचे, 40,000 टन के इस पोत को कल केरल तट के पास राष्ट्र को समर्पित किया। इसे कोच्चि शिपयार्ड में बनाया गया और इसमें 76 प्रतिशत से अधिक कल पुर्जे स्वदेशी हैं। इसके साथ भारत गिनती के उन देशों में शामिल हो गया है जिनके पास इतने विशाल विमानवाहक युद्धपोत की रूपरेखा तैयार करने से लेकर उसे तैयार करने की क्षमता है। इसमें सूक्ष्म प्रौद्योगिकी से लेकर विशाल अवसरंचनाओं का निर्माण करने वाली अभियांत्रिकी का समावेश है।
श्री मोदी ने कल कहा था, “विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम और विशिष्ट भी है। यह सिर्फ युद्धपोत ही नहीं, 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दुरंत हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं तो भारत का उत्तर है विक्रांत। ”इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत विक्रांत के नाम पर ही रखा गया है जो सेवा से मुक्त किया जा चुका है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘आईएनएस विक्रांत आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत एक असाधारण प्रतीक है। इसके नाम पर उन्होंने कहा था, “ नौसेना की परम्परा है-ओल्ड शिप्स नेवर डाई (पुराने पोत कभी भी समाप्त नहीं होते।” उन्होंने कहा कि यह नया पोत 1971 के युद्ध में शानदार भूमिका निभाने वाले विक्रांत का नया स्वरूप है। ”