यमुना में बाढ़ ने धारण किया विकराल रूप 110 गांवों से कटा संपर्क,चारों ओर पानी ही पानी

बाँदा। यहाँ उफनाती यमुना नदी ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। हथिनी कुंड से छोड़े गए पानी ने बाढ़ प्रभावित गांवों में तबाही मचानी शुरू कर दी है। बाढ़ के कारण 110 गांव के संपर्क मार्ग बह गए या पानी में समा गए हैं। इसके साथ ही 30 गांव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3 गांव ऐसे हैं जिन्हें प्रशासन ने खाली करा लिया है। इन गांवों के पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है। प्रशासन ने बाढ़ के दौरान बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ टीम को बुलाया है।जनपद में यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जिसके कारण पैलानी तहसील के अंतर्गत बाढ़ ने भारी तबाही मचानी शुरू कर दी है। इस क्षेत्र के 110 गांवो के संपर्क मार्गों में पानी भर जाने से इनके बह जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वहीं इस क्षेत्र के 30 गांवों में स्थिति विकराल हो गई है। यह सभी गांव बाढ़ की चपेट में हैं।इनके रिहायशी इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इस इलाके के नांदादेव गांव का पुरवा, शंकरपुरवा और गडोला में पानी भर जाने से इन्हें खाली करा लिया गया है और यहां रहने वाले ग्रामीणों को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है।इस बीच बाढ़ प्रभावित गांवों का प्रदेश सरकार के मंत्री राकेश सचान और अनूप प्रधान ने दौरा किया। साथ ही बाढ़ से प्रभावित ग्रामीणों को राहत सामग्री वितरित की। उन्होंने इस दौरान जिला अधिकारी को बाढ़ से नष्ट हुई फसलों का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिलाने का निर्देश दिया। बाढ़ के कारण बांदा से चिल्ला होकर कानपुर जाने वाले नेशनल हाईवे पर 5 फीट तक पानी भर गया है। यहां प्रशासन ने गुरुवार को आवागमन पर रोक लगा दी थी। इस संबंध में जिला अधिकारी अनुराग पटेल ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में इस समय प्रशासनिक अधिकारी लगातार भ्रमण कर रहे हैं। जिन गांवों का संपर्क टूट गया है। वहां नावों की व्यवस्था की गई है और प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ चौकी के माध्यम से निगरानी की जा रही है। वहीं शुक्रवार को चित्रकूट धाम मंडल के कमिश्नर आरपी सिंह ने कहा कि केन बेतवा और यमुना नदी में बाढ़ को देखते हुए मंडल कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया गया है।जिसके माध्यम से बाढ़ पर निगरानी रखी जा रही है।