वरिष्ठ नागरिकों को घर से निकालना अपराध

जौनपुर । वृद्धजनों को राज्य सरकार की योजनाओं एवं उनके अधिकार के प्रति जागरूक किये जाने हेतु श्रीमती वाणी रंजन अग्रवाल, जनपद न्यायाधीश की अनुमति से सचिव विवेक विक्रम द्वारा आश्रय गृह पुराना पान दरीबा, प्रेमराजपुर, का निरीक्षण एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सचिव द्वारा ‘‘माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिको का भरण पोषण कल्याण अधिनियम के बारे में बताते हुए कहा गया कि कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष अथवा उससे ज्यादा है इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं, जो कि अपनी आय या अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, वो अपने वयस्क बच्चों या रिश्तेदारों से भरण-पोषण प्राप्त कर सकते है। इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि अगर रखरखाव करने का दावा करने वाले दादा-दादी या माता-पिता हैं ओर उनके बच्चे या पोता-पोती अभी नाबालिग हैं तो वो अपने रिश्तेदार जो उनकी मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी होगा पर भी दावा कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में जब वरिष्ठ नागरिक इस शर्त पर अपनी सम्पत्ति अपने उत्तराधिकारी के नाम कर चुका हो कि वह उसकी आर्थिक और शारीरिक जरूरतों का भरण-पोषण करेगा और ऐसे में अगर समपत्ति का अधिकारी ऐसा नहीं करता है तो माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक अपनी सम्पत्ति वापस ले सकता है। वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के प्रावधान के तहत भी न्यायिक दण्डाधिकारी प्रिम श्रेणी न्यायालय मंे भरण-पोषण का आवेदन पेश कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा या फिर उन्हें घर से निकाल देना एक गंभीर अपराध है और इसके लिए पांच हजार रूपये का जुर्माना या तीन महीने की कैद या दोनों हो सकते है।