धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की भागीदारी लोगों की भलाई के लिए पीपीपी मॉडल : मोदी

फरीदाबाद।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की शिक्षा-चिकित्सा से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन में साझेदारी को पुराने समय का (पीपीपी) यानी सार्वजनिक निजी साझेदारी मॉडल करार देते हुए कहा है कि यह लोगों के कल्याण के लिए सरकारों तथा इन संस्थानों का परस्पर प्रयास है।श्री मोदी ने बुधवार को यहां मां अमृतानंदमयी संस्थान के 6000 करोड़ रुपये की लागत से बने एशिया के सबसे बड़े ‘अमृता अस्पताल ’ का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अस्पताल लोगों की भलाई के लिए देश के धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की शिक्षा-चिकित्सा से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन में भागीदारी का उदाहरण है। यह पुराने समय के (पीपीपी) यानी सार्वजनिक निजी भागीदारी का मॉडल है जिसे वह परस्पर प्रयास की तरह देखते हैं।उन्होंने कहा कि केन्द्र , राज्यों और विभिन्न संस्थानों की भागीदारी से देश में प्रभावशाली पीपीपी मॉडल तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा , “ मैं इस मंच से आवाहन करता हूँ, अमृता हॉस्पिटल का ये प्रकल्प देश की दूसरी सभी संस्थाओं के लिए एक आदर्श बनेगा, आदर्श बनकर उभरेगा। हमारे कई दूसरे धार्मिक संस्थान इस तरह के इंस्टीट्यूट्स चला भी रहे हैं, कई संकल्पों पर काम कर रहे हैं। हमारे प्राइवेट सेक्टर पीपीपी मॉडल के साथ साथ आध्यात्मिक प्राइवेट पार्टनरशिप को भी आगे बढ़ा सकते हैं, ऐसी संस्थाओं को संसाधन उपलब्ध करवाकर उनकी मदद कर सकते हैं।”श्री मोदी ने कोरोना महामारी से निपटने में समाज के हर वर्ग, हर संस्था, हर सेक्टर के प्रयास का उल्लेख करते हुए कहा कि इस का नतीजा सबने देखा है। उन्होंने कहा कि देश के इस मॉडल ने कोरोना की वैक्सीन को लेकर उठाये जा रहे सवालों के बीच दुष्प्रचार और अफवाहों को दरकिनार करते हुए टीकाकरण अभियान को सफल बनाया। “इस बार लाल किले से मैंने अमृतकाल के पंच प्रणों का एक विज़न देश के सामने रखा है। इनमें से एक है- गुलामी की मानसिकता का संपूर्ण त्याग। इस मानसिकता का जब हम त्याग करते हैं, तो हमारे कार्यों की दिशा भी बदल जाती है। यही बदलाव आज देश के हेल्थकेयर सिस्टम में भी दिखाई दे रहा है। अब हम अपने पारंपरिक ज्ञान और अनुभवों पर भी भरोसा कर रहे हैं, उनका लाभ विश्व तक पहुंचा रहे हैं। हमारा आयुर्वेद, हमारा योग आज एक विश्वसनीय चिकित्सा पद्धति बन चुका है। भारत के इस प्रस्ताव पर अगले वर्ष पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय ज्वार वर्ष मनाने जा रहा है। ”उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं का दायरा केवल अस्पतालों, दवाओं, और इलाज तक ही सीमित नहीं होता है। सेवा से जुड़े ऐसे कई कार्य होते हैं जैसे स्वच्छ और शुद्ध पानी तक सामान्य से सामान्य नागरिक की पहुंच ये सब स्वस्थ समाज की आधारशिला रखते हैं।जल जीवन मिशन में हरियाणा के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ हरियाणा आज देश के उन अग्रणी राज्यों में है, जहां घर-घर पाइप से पानी की सुविधा से जुड़ चुका है। इसी तरह, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ में भी हरियाणा के लोगों ने बेहतरीन काम किया है। फ़िटनेस और खेल ये विषय तो हरियाणा की रगों में हैं, हरियाणा की मिट्टी में है, यहां के संस्कारों में हैं। और तभी तो यहां के युवा खेल के मैदान में तिरंगे की शान बढ़ा रहे हैं।”उन्होंने कहा , “ सही विकास होता ही वो है जो सबतक पहुंचे, जिससे सबको लाभ हो। गंभीर बीमारी के इलाज को सबके लिए सुलभ कराने की ये भावना अमृता अस्पताल की भी है। मुझे विश्वास है कि सेवाभाव का आपका ये अमृत संकल्प हरियाणा के, दिल्ली-एनसीआर के लाखों परिवारों को आयुष्मान बनाएगा।”इस मौके पर मां अमृतानंदमयी , स्वामी अमृतास्वरूपानंद पुरी , हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय , मुख्यमंत्री मनोहर लाल , केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।