जौनपुर। शोध की कोई जाति,रंग,देश नहीं होता, इसलिए शोधार्थी वैश्विक परिप्रेक्ष्य में शोध करें। शोध कोई कठिन कार्य नहीं है। जब आप शोध से प्रेम करेंगे तो शोध बहुत ही आसान हो जाता है। उक्त उद्गार तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मांटपेलियर विश्वविद्यालय, फ्रांस के प्रोफेसर रामेश्वर दुबे ने व्यक्त किए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीति बहुत ही लाभप्रद है। बहुत ही सोच समझ कर बनाई गई है। किंतु बदलाव का हमेशा विरोध होता है और जो उस विरोध को झेल जाता है, वह आगे बढ़ जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह प्रावधान किया गया है कि 4 वर्षीय स्नातक के बाद सीधे शोध में प्रवेश मिले। भारतवर्ष के लिए यह कोई नई व्यवस्था नहीं है कि हम इससे घबराएं। आज से 30 वर्ष पहले से देश के उत्कृष्ट संस्थानों- आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी आदि में यह व्यवस्था सफलतापूर्वक चल रही है। इसलिए यह सोचना कि स्नातक के बाद शोध अच्छी व्यवस्था नहीं है, सर्वथा निराधार है। आज दुनिया ज्ञान की कद्र करती है और ज्ञान शोध से ही प्राप्त होता है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है कि हम अपने ज्ञान का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि हमें प्रतिदिन कुछ क्रियात्मक लेखन करना चाहिए, जिससे हमारे अंदर लिखने की क्षमता का विकास होगा। शोध में सांख्यिकी का बहुत महत्व है। सांख्यिकी बहुत ही रोचक विषय है और जिस दिन हम सांख्यिकी को समझ जाएंगे, उस दिन निश्चित रूप से सोच में आगे बढ़ जाएंगे। आज पूरी दुनिया में डेटा विश्लेषण के आधार पर शोध का निष्कर्ष आता है और डेटा विश्लेषण के लिए सांख्यिकी का ज्ञान आवश्यक है। प्रारंभ में मुख्य अतिथि का महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर आलोक कुमार सिंह ने स्वागत किया। स्वागत उद्बोधन में उन्होंने कहा कि महाविद्यालय में व्याख्यान समिति के माध्यम से किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखने वाले विद्वान को आमंत्रित किया जाएगा, जिससे कि उस विशिष्ट व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से हमारे विद्यार्थी अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रोफेसर रामेश्वर दुबे का शोध के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान है, इसलिए इनका उद्बोधन हमारे विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी होगा।बी.एड. विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार दुबे ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर रामेश्वर दुबे का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर दुबे ब्रिटेन के लिवरपूल एवं फ्रांस के मांटपेलियर विश्वविद्यालय में साथ-साथ प्रोफेसर हैं। संचालन प्रोफेसर श्रद्धा सिंह ने किया। बड़ी संख्या में महाविद्यालय के शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post