जौनपुर। आज से 1444 वर्ष पहले पैगंबर ए इस्लाम हजरत मुहम्मद के नवासे इमामहुसैन को तीन रोज का भूखा प्यासा दहशतगर्द बादशाह यजीद की फौज ने कर्बला में शहीद कर दिया था। उनकी याद में आज रौज़े वाली मस्जिद चहारसू में शेख नुरुल हसन मेमोरियल सोसाइटी की तरफ से संस्था के प्रबंधक अली मंजर डेजी ने हर वर्ष की भांति चहारसू की मस्जिद में मजलिस का आयोजन किया । जिसे खिताब किया इस्लामिक मामलों के जानकार और इतिहासकार मोहम्मद मासूम ने और बताया कि इस्लाम नाम है जुल्म के खिलाफ दहशतगर्दों के खिलाफ जंग का और मजलूमों का साथ देने का ।सत्य की राह पे चलने वालों का टकराव जालिम बादशाहों से हमेशा से होता रहा है। मुहर्रम का चांद होते ही हुसैन का गम मानने के लिए उनके मानने वाले अपने अपने वतन जरूर आते हैं और हर धर्म के लोगों के साथ मिल के कर्बला वालों की शहादत को याद करते हैं। जाकिर ए अहले बैत जनाब एसएम मासूम ने बताया कि अपने वतन और वतनवालों से मुहब्बत इस्लाम का पैगाम है। मजलिस खत्म होने पे लोगों की आंखों में आंसू थे। मजलिस में शेख नूरुल हसन, हैदरी बीबी, नेहाल अहमद, कैसर बानो के लिए सूरह फातिहा पढ़ी गई। मजलिस मुख्य रूप से नई हैदर के नेतृत्व में अंजुमन कासिमिया नौहा खानी की और सैफ अब्बास ने पेशखानी की। इस मौके पर डा. अबरार हुसैन, अब्बास, मुस्तफा शमसी , अहसन नजमी, तहसीन अब्बास,डा, राहिल, जाफर अब्बास, हुसैनी फोरम इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक इकबाल मधु,सै.परवेज हसन. जावेद, अहमद, नासिर रजा गुड्डू, शकील अहमद एडवोकेट आदि मौजूद रहे।
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