सोनभद्र । पुलिस की विवेचना की खामियां और अभियोजन की नाकामयाबी के कारण पीड़ित न्याय से वंचित हो जाते हैं उक्त बातें राबर्ट्सगंज न्यायालय के अधिवक्ता विकास शाक्य ने विगत दिनों कई गंभीर मुकदमे में आरोपियों के दोष मुक्ति के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।अधिवक्ता विकास शाक्य ने कहा कि थाना चोपन अंतर्गत पैरामिलेट्री (सीआरपीएफ) फोर्स के जवान गुरबचन सिंह 19 नवंबर 2006 की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी,जिसकी रिपोर्ट कंपनी कमांडर एल साहू ने दर्ज कराई थी,विवेचना में जवान की हत्या का मामला पाते हुए महेंद्र एवं मंगरी नाम के दो लोगों को अभियुक्त बनाया गया और गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। पुलिस का आरोप पत्र में विवेचना इतना लचर और दूषित था अभियोजन भी परिस्थिति जन्य साक्ष्य की कड़ियों को जोड़ नहीं पाया और अदालत की लंबी सुनवाई के दौरान अभियुक्त महेंद्र की मृत्यु हो गई अभियुक्त मंगरी को सत्र परीक्षण संख्या 45 सन् 2007 में सुनवाई करते हुए जुलाई 2022 को अपराध साबित नहीं पाते हुए दोष मुक्त कर दिया गया। विशेष न्यायाधीश एससी एसटी कोर्ट में सत्र परीक्षण संख्या 21 सन् 2018 में वादी मुकदमा जो अनुसूचित जाति का व्यक्ति था उसके घर पर चढ़कर आरोपी अभियुक्त राम लखन,हीरामन,विनय कुमार, वीरेंद्र ,कृष्णा ,उर्मिला,शिवपतिया, कमला देवी, फुल कुमारी के ऊपर 15 अक्टूबर 2015 को मारपीट कर चार लोगों को चोटें पहुंचाने घर उजाड़ कर नुकसान पहुंचाए जाने का आरोप लगाया गया डॉक्टरी परीक्षण के साथ विन्ढमगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया ।पुलिस ने जो साक्ष इकट्ठा करके अभियोजन न्यायालय में लाया वह टिक नहीं पाया और सत्र परीक्षण न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त जुलाई 2022 में कर दिया। इसी तरह थाना करमा में पीड़िता ने आरोपी मदन मौर्या पर 354भा0द0सं0 एवं अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न का आरोप 19 फरवरी 2017 में लगाई पुलिस ने विवेचना करके आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय प्रस्तुत की सत्र परीक्षण 22 सन 2017 में परीक्षण करते हुए अभियोजन को असफल घोषित करते हुए आरोपी को दोष मुक्त कर दिया गया ।थाना करमा में ही 29 दिसंबर 2012 में पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार का आरोप में अभियुक्त रामाश्रय मौर्य को अभियुक्त बनाया गया जिसका परीक्षण संख्या 8सन् 2015 पर न्यायालय ने विवेचना की खामियों एवं अभियोजन के नाकामयाबी के कारण दोषी साबित नहीं कर पाए जाने के कारण आरोपी को जुलाई 2022 में ही दोषमुक्त कर दिया गया। उक्त सभी मुकदमे में आरोपी अभियुक्तों की पैरवी करने वाले अधिवक्ता विकाश शाक्य रहे हैं उन्होंने अपने पेशेवर दायित्व के बखूबी निर्वहन के साथ-साथ पुलिस के विवेचना की कार्यवाही में प्रशिक्षित विवेचक का अभाव एवं समय-समय पर अभियोजक को प्रशिक्षण देने की आवाज उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है।उन्होंने कहा कि हमारा प्रोफेशनल दायित्व के साथ-साथ सामाजिक दायित्व भी है इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस की विवेचनात्मक प्रणाली सही किया जाए और अभियोजन को मजबूत और प्रशिक्षित बनाया जाए।
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