फतेहपुर। मोहर्रम की सात तारीख पर या हुसैन-या हुसैन, लब्बैक-लब्बैक या हुसैन की सदाएं गूंज उठी। शिया समुदाय के लोगों ने नौहा ख्वानी के बीच पलंग के आगे पहले हाथ से मातम किया फिर जंजीर से मातम व कमा लगाकर अपना लहू बहाया। जिसे देखकर लोगों ने अपनी उंगलियां दातों तले दबा लीं। उधर तीन पलंगों का पहला मिलाप शाम तीन बजे पीलू तले चैराहे पर व दूसरा मिलाप सैय्यदवाड़ा कूंड तालाब पर देर रात हुआ। पलंग का मिलाप देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। इन दिनों शहर की ताजियादारी उरूज पर है। सात मोहर्रम पर शहर के सैय्यदवाड़ा, अमरजई से पलंग का जुलूस उठा। पलंग की बिनाई का काम भोर चार बजे ही शुरू हो गया था। तीनों पलंग पर श्रद्धालुओं की भीड़ भोर से ही उमड़ने लगी थी। लोगों ने पलंगों पर फूल व प्रसाद चढ़ाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सैय्यदवाड़ा मोहल्ले से उठने वाले पलंग के जुलूस में शिया समुदाय की ओर से नौहा ख्वानी के बीच बच्चे बूढ़े व नौजवानों ने जंजीर कमा का मातम किया। जंजीर व कमा का मातम करने वाले लहूलुहान हो गये। खून की बहती धार देख लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली तत्पश्चात दो पलंगों का जूलूस महाजरी मुहल्ले की गलियों से होता हुआ पीलू तले तिराहे पर पहुंचा। जहां अमरजई मुहल्ले के पलंग से मिलाप हुआ। तीनों पलंगों का जुलूस एक साथ होकर निर्धारित रास्तों से मुस्लिम इंटर कालेज के समीप पहुंचा। जहां रात लगभग नौ बजे पुनः मिलाप के साथ जुलूस समाप्त हो गया। पलंगों के आगे दर्जनभर से ज्यादा अलम साथ-साथ चल रहे थे। दिनभर चले पलंग जुलूस के दौरान अकीदतमंदों की उमड़ी भीड़ में महिला और बच्चे लाला बाजार में सजी घरेलू समान की दुकानों एवं खिलौना आदि की दुकानों से जहां खरीददारी की। यह खरीददारी का सिलसिला भी सारा दिन चलता रहा। वहीं दूर-दराज से पलंग जुलूस देखने आये लोगों ने लाला बाजार में लगी सब्जी और लुचूई एवं कवाब-समोसे की दुकानों से यह खाद्य सामग्री खरीदकर आनन्द लेते रहे। ंसुबह से लेकर देर शाम तक पलंग जुलूस के साथ सुरक्षा व्यवस्था के तहत जहां पुलिस बल तैनात रहा। वहीं प्रशासनिक अधिकारी भी बीच-बीच में जायजा लेते रहे। उधर शिया समुदाय में मजलिसों व नौहा ख्वानी का सिलसिला जारी रहा।
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