नयी दिल्ली। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा नीतिगत दरों में आज की गयी आधी फीसद की बढोतरी पर रियल एस्सेट उद्योग ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है और कहा कि इससे आवास ऋण की लागत बढ़ने से मांग पर कुछ पड़ सकता है।रिजर्व बैंक ने रेपो दर को वर्तमान के 4.90 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत करने के साथ ही अन्य नीतिगत दरों में भी इसी के अनुरूप बढोतरी करने की घोषणा की है जिससे अब रेपो दर कोरोना महामारी से पहले के स्तर को पार कर गयी है। महामारी से पहले यह दर 5.15 प्रतिशत रही थी।क्रेडाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा कि “आरबीआई के रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी ने एक बार फिर कर्ज पर ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है। यह निश्चित रूप से घर खरीदारों की क्षमता को प्रभावित करने वाला है, विशेष रूप से मध्यम वर्ग के लोगों पर इसका असर दिखाई देगा। इस बढ़ोतरी के बाद, लाखों घर खरीदार संपत्ति बाजार से दूर हो सकते हैं। इससे अचल संपत्ति बाजार में परियोजनाओं की बिक्री की गति कम हो जाएगी।”क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौर ने कहा कि “आरबीआई द्वारा वर्तमान रेपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि अपेक्षा के अनुसार है। इस वृद्धि के साथ रेपो दर अपना चक्र पूरा करते हुए महामारी-पूर्व स्तर पर वापस आ गई है। हमें नहीं लगता कि इसका उपभोक्ताओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वे वर्तमान में उत्साहित है। आवास के साथ-साथ खुदरा क्षेत्र भी फलते-फूलते रहेंगे क्योंकि बैंकों द्वारा गृह ऋण की ब्याज दरों में वास्तविक वृद्धि उपयुक्त होगी।”
भूमिका ग्रुप के प्रबंध निदेशक उद्धव पोद्दार ने कहा “आरबीआई ने 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी करके रेपो दरों को 4.90 से बढ़ाकर 5.40 कर दिया। आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए किसी अन्य सख्त उपाय उठाने के बजाय एक मापा हुआ दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि इससे संपत्तियों की बिक्री पर असर पड़ेगा क्योंकि संभावित खरीदार घर या किसी अन्य संपत्ति को खरीदने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा या उसे स्थगित कर देगा। साथ ही यह मुद्रास्फीति को कम करने में मदद करेगा और अंततः डेवलपर्स को लाभान्वित करेगा क्योंकि यह इनपुट लागत को कम करने में मदद करेगा।”
एसकेएस ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा “भले ही रियल एस्टेट क्षेत्र रेपो दर को अपरिवर्तित रहना पसंद करता हो, लेकिन जमीनी स्तर की वास्तविकता को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। रेपो दर में बढ़ोतरी करके आरबीआई ने एक अच्छा संतुलन बनाने की कोशिश कर एक उचित दृष्टिकोण अपनाया है। मैं वृद्धि को मध्यम स्तर पर रखने के लिए आरबीआई को धन्यवाद देना चाहता हूं। जहां तक इस क्षेत्र पर प्रभाव का सवाल है, मुझे लगता है कि यह न्यूनतम होगा क्योंकि रियल एस्टेट भविष्य में उत्साहजनक दिख रहा है।”गुलशन ग्रुप के निदेशक दीपक कपूर ने कहा “ आरबीआई द्वारा रेपो दर में 50 आधार अंकों की वर्तमान वृद्धि का मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने की कोशिश है। भले ही सरकार इनपुट लागत पर मुद्रास्फीति के दबाव पर लगाम लगाने के प्रयास कर रही है, मगर फिर भी यह अभी कम्फर्ट जोन में नहीं है। आवासीय और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों में काम कर रहे एक रियल एस्टेट डेवलपर के रूप में, यह समग्र परिदृश्य पर एक तटस्थ प्रभाव डालने वाला है।”मिगसन ग्रुप के प्रबंध निदेशक यश मिगलानी ने कहा “देश को महामारी से निपटने में मदद करने के लिए आरबीआई द्वारा रेपो दर में काफी समय तक बढ़ोतरी नहीं की गई थी, मगर अब आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए धीरे-धीरे आधार अंकों को बढ़ाना शुरू कर दिया है। पिछली बार 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद आरबीआई ने फिर से रेपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाने का फैसला किया है। यदि इस वृद्धि के अनुसार बैंक भी वृद्धि करते हैं, तो निश्चित रूप से होम लोन की लागत में वृद्धि होगी, लेकिन इसका प्रभाव, अनुमानित दृष्टिकोण और सकारात्मक भावनाओं को देखते हुए, अचल संपत्ति पर न्यूनतम होगा।”