भूजल सप्ताह  के समापन समारोह में शामिल हुए सीएम योगी, डीएम और जलयोद्धा को किया सम्मानित

बाँदा।योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 16 से 22 जुलाई तक चले भूजल सप्ताह के समापन के मौके पर जिलाधिकारी बांदा के अलावा इस जिले में खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़ विधि के जनक उमाशंकर पाण्डेय सदस्य जल प्रबंधन समिति नीति आयोग भारत सरकार को भी सम्मानित किया। जल संचयन में जिलाधिकारी अनुराग पटेल और उमाशंकर पाण्डेय की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भूजल सप्ताह के समापन के अवसर पर जल संचय और संवर्द्धन में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को शुक्रवार को सम्मानित किया। इनमें बांदा जिले के एक ऐसे योद्धा हैं, जिन्होंने जल संचय और संवर्द्धन में मिसाल कायम की है। इन्होंने न सिर्फ जिले की गहरार नदी के पुनर्जीवन में अहम भूमिका निभाई, बल्कि खुद अपने सिर पर मिट्टी ढोकर अभियान में श्रमदान किया। इस तरह अन्य नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।शुक्रवार को जलयोद्धा उमाशंकर पाण्डेय व डीएम अनुराग पटेल को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने हाथों से सम्मानित किया।योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 16 से 22 जुलाई तक चले भूजल सप्ताह के समापन के मौके पर जिलाधिकारी बांदा के अलावा इस जिले में खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़ विधि के जानकार उमाशंकर पाण्डेय सदस्य जल प्रबंधन समिति नीति आयोग भारत सरकार को भी सम्मानित किया।जल संचयन में जिलाधिकारी अनुराग पटेल और उमाशंकर पाण्डेय की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।अनुराग पटेल वही साहसी डीएम हैं, जिन्होंने जलकुम्भी से भरे तालाब की सफाई में चार घंटे पानी में रहकर अपना योगदान दिया था।डीएम अनुराग पटेल ने जनपद में इक्कीस किलोमीटर के प्रवाह क्षेत्र में से ग्यारह किलोमीटर प्रवाह क्षेत्र में खत्म हो गई गहरार नदी के पुनर्जीवन के लिए 22 अप्रैल से अभियान चलाया। स्वयं सिर पर मिट्टी ढोकर अभियान में श्रमदान किया। उनके साथ जल योद्धा उमा शंकर पाण्डेय ने भी सिर पर डलिया रखकर मिट्टी ढोकर श्रमदान किया था। इसी तरह चंद्रायल नदी जो 19 किलोमीटर के प्रवाह क्षेत्र में 15 किलोमीटर तक मृतप्राय हो गई थी। यहां भी पुनर्जीवन अभियान शुरू किया गया। अभियान में उमा शंकर पांडे और जिला अधिकारी श्री पटेल ने गर्मी और धूप की परवाह न करते हुए श्रमदान किया था। इसी जिले की मरौली झील जो मटौंध क्षेत्र के मटौंध ग्रामीण व इटवां ग्राम पंचायतों के मध्य में स्थित है, इसकी तीस बीघा जमीन पर किसानों ने कब्जा कर रखा था। कब्जा हटाकर यहां भी झील का पुनरोद्धार किया गया।जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री द्वारा चलाए गए अमृत सरोवर अभियान से प्रेरित होकर जिले के पचास तालाबों में अभियान चलाकर जलकुम्भी हटाने का संकल्प लिया। इसके तहत ग्राम पंचायत डिंगवाही में जलकुम्भी वाले तालाब में स्वयं उपस्थित होकर इस अभियान की शुरूआत की। इस दौरान उन्होंने चार घण्टे तक गले तक पानी में उतरकर जलयोद्धा उमाशंकर पाण्डेय के साथ मिलकर जलकुम्भी हटाओ अभियान में अपना योगदान किया। इस अभियान में जिले के पचास तालाब जलकुम्भी से मुक्त हो गए हैं।समापन समारोह में स्वतन्त्र देव सिंह मंत्री जलशक्ति विभाग उत्तर प्रदेश, रामकेश निषाद जलशक्ति मंत्री, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ वीके उपाध्याय निदेशक भूगर्भ जल विभाग उपस्थित रहे।