बैंकिग कानून में संशोधन से साहूकारी व्यवस्था लेगी जन्म: मिस्बाहुल

फतेहपुर। बैंक के राष्ट्रीयकरण की स्मृति दिवस पर कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यक विभाग ने वर्तमान सरकार की बैंकिग प्रणाली के प्रस्ताविक विधेयक का विरोध करते हुए इसे देश के लिए नुकसानदायक बताया। साथ ही आयरन लेडी के नाम से प्रख्यात प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने के निर्णय को एक दूरगामी सोच व साहसिक निर्णय बताते हुए सरकार द्वारा बैंको का निजीकरण करने को देश में बेरोज़गारी बढ़ाने वाला बताया।मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव मिस्बाहुल हक ने कलक्ट्रेट स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए संसद में प्रस्तावित बैंकिग संशोधन कानून को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होने प्रस्तावित सुधारों को देश के लिए घातक व युवाओं के लिए निराशाजनक बताया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान मिस्बाहुल हक ने बताया कि 19 जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर बैंकों को राष्ट्र के विकास की धुरी बनाया था। बैंकों में सरकार का 51 फीसद हिस्सा रख जनता के प्रति जिम्मेदार बनाया गया था। वहीं 15 अप्रैल 1980 तक 27 बैंकों का राष्ट्रपति कर देश की अर्थव्यवस्था एवं विकास का ताना बाना बुना गया था। वर्तमान की भाजपा सरकार द्वारा मानसून सत्र में पेश किया जाने वाला बैंकिंग कानून संशोधन बिल के जरिए युवाओं के रोजगार समाप्त करने आर्थिक असमानता बढ़ाने, माध्यम व गरीब वर्ग के लिए नुकसान दायक होगा। उन्होने बताया कि सरकार अब बैंकों में सरकार को हिस्सेदारी को 51 फीसद से हटाकर 26 प्रतिशत कर रही है जबकि राष्ट्रीकृत बैंकों की संख्या 27 से घटाकर 12 रह गई है। उन्होने कहा कि सरकार के इस निर्णय से इन बैंकों का पैसा उद्योगपतियों का हो जाएगा। बैंकों को बड़े उद्योगपति खरीद कर सरकार से अपना कर्जा माफ करवा लेंगे और सरकार को ही मनमाने ब्याज पर कर्ज देकर मोटी कमाई करेंगे। कांग्रेस पार्टी ऐसे निर्णय का विरोध करती है क्योंकि इससे सार्वजनिक उपक्रमों में कमी आएगी। मध्यम वर्ग व गरीब वर्ग को जीवन संघर्ष करना पड़ेगा। बेरोजगारी, मंहगाई बढ़ेगी, आरक्षण व्यवस्था को चोट पहुचेगी, स्टार्टअप सेवाओ पर भी फर्क पड़ेगा। इस मौके पर कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश सचिव मो आलम, जिला सचिव अमीरुज्जमा आदि मौजूद रहे।