लंदन। इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स के 31 साल की उम्र में एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास लेने से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। इससे यह भी साफ है कि आजकल अत्याधिक क्रिकेट हो रहा है जिससे खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक रुप से टूट रहे हैं। स्टोक्स ने कहा है कि काफी अधिक क्रिकेट के कारण शरीर पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव को देखते हुए ही उन्होंने यह कदम उठाया है। ऐसे में अगर अब भी विश्व भर के क्रिकेट बोर्ड नहीं संभले और पैसे के लिए खेल के मुकाबले इसी प्रकार चलते रहे तो कई खिलाड़ी कम उम्र में ही खोने पड़ेंगे। स्टोक्स का संन्यास बताता है कि पिछले कुछ सालों में क्रिकेट काफी ज्यादा खेला जा रहा है। सिर्फ द्विपक्षीय सीरीज ही नहीं, बल्कि आईसीसी इवेंट भी काफी हो रहे हैं। इससे खिलाड़ी मानसिक और शारीरिक तौर पर बिखर रहे हैं। स्टोक्स का संन्यास विश्व क्रिकेट के लिए एक चेतावनी भर है। इसी प्रकार एक दशक पहले इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने भी अचानक ही खेल को अलविदा कह दिया था। . तब पीटरसन की उम्र भी 30 के करीब ही थी। पीटरसन भी लगातार व्यस्त कार्यक्रम से थक गये थे। इंग्लैंड काफी ज्यादा क्रिकेट खेल रहा। ऐसे में स्टोक्स जैसे खिलाड़ी, जो मैदान पर जीत के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। उन्हें किसी न किसी प्रारुप को तो छोड़ना ही था। इससे इंग्लैंड के अलावा दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड को सतर्क हो जाना चाहिये हालांकि आईसीसी या दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड की सोच में बदलाव की अभी भी उम्मीद नहीं है। आईसीसी की अगले हफ्ते बर्मिंघम में 2023 से 2027 भविष्य दौरा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए आम बैठक होनी है. हालांकि, इस बैठक में कुछ बदलाव की उम्मीद नहीं है। होगा. एफटीपी का कार्यक्रम दिखाता है कि अगले 4 साल में किस देश को कितना क्रिकेट खेलना है। इसमें इंग्लैंड को ही इस चार साल की अवधि में 42 टेस्ट, 44 एकदिवसीय और 52 टी20 खेलने हैं। इसके अलाव आईसीसी के अलग मुकाबले भी होंगे। इसी प्रकार भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई टीमों को भी तकरीबन इतने ही मुकाबले खेलने हैं। अन्य टीमों को को भी इसी प्रकार से मुकाबले खेलने होंगे। भारतीय टीम के भी खिलाड़ी आईपीएल के पहले से ही लगातार खेल रह हैं। जिसके बारे में भी भारतीय बोर्ड को विचार करना होगा।
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