सी ओ डी घोषित न होने के चलते बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर 6 माह तक मुफ्त में भर सकेंगे फर्राटा

बांदा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को ललितपुर में बुंदेलखंड को दी गई सौगात बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने वालों के लिए खुशखबरी है।छह महीने तक टोल के लिए लोगों को जेब ढीली नहीं करनी पड़ेगी। 7766 करोड़ से बने एक्सप्रेसवे पर कई जगहों पर टेस्टिंग,पेंटिंग व फ्लाईओवर के कुछ काम अधूरे हैं।इसके चलते कामर्शियल ऑपरेशन डेट (सीओडी) की घोषणा नहीं की गई है। इन कामों के पूरा होने में अभी कम से कम 6 महीने का समय और लग जाएगा। इसके बाद सीओडी आएगी, तब कहीं जाकर टोल टैक्स लगने की शुरूआत होगी। करीब 296.07 किमी लंबे एक्सप्रेसवे में 13 टोल प्लाजा पड़ेंगे, एक रुपये प्रति किमी टोल टैक्स लिया जाएगा। इस तरह लगभग तीन सौ किमी कार से टैक्स लिया जाएगा।एक्सप्रेसवे को 50-50 किमी की लंबाई के हिसाब से छह पैकेज में बांटा गया है।तीन और चार पैकेज का एक्सप्रेेस पूरी तरह से कंप्लीट है। इसे सीओडी घोषित कर दिया गया है। इसके अलावा पहले, दूसरे, पांचवें और छठे पैकेज के बीच-बीच में साइड रोड, टेस्टिंग सहित अन्य कई छोटे-छोटे काम अधूरे हैं। इन्हें तेजी से पूरा किया जा रहा है। कार्यदायी संस्था यूपीडा के प्रोजेक्ट सहायक अभियंता एसके यादव का कहना है कि सीओडी आने के बाद ही टैक्स पड़ेगा।उनका कहना है इसमें अभी कम से कम 6 से 8 महीने लग सकते हैं।बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चित्रकूट में भरतकूप के पास गोंडा गांव में झांसी-इलाहाबाद राजमार्ग से प्रारंभ होकर इटावा की तहसील ताखा के ग्राम कुदरैल के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में मिलता है। एक्सप्रेसवे फोर लेन है।यहां चार स्थानों पर फ्यूल पंप स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।एक्सप्रेसवे पर चित्रकूट से दिल्ली सात घंटे का सफर पेड़ों की छाया में होगा। पूरे एक्सप्रेसवे पर 13 लाख 79 हजार पौधे लगाने की तैयारी है। यानी हर किलोमीटर पर औसतन 4658 पौधे लगेंगे। इनमें पीपल, बरगद आदि के होंगे।बांदा जिले के 28 गांवों को छूता हुआ करीब 80 किमी के एरिया से बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे गुजर रहा है। यहां के लोग महोखर,मवई,हथौड़ा और बिसंडा से एक्सप्रेसवे पर आसानी से पहुंच सकते हैं।इन जगहों पर टोल मार्ग बनाया गया है।एक्सप्रेसवे पर हर 500 मीटर पर वाटर हार्वेस्टिंग के लिए रिवर्स बोरिंग की गई है। बारिश का पानी पक्की नालियों से 15 मीटर लंबे और तीन मीटर चौड़े तथा तीन मीटर गहरी हौज (टंकी) में जाएगा। यहां से 50-50 फीट गहराई में रिवर्स बोरिंग से पानी भूगर्भ में समा जाएगा।प्रदेश में यह पहला एक्सप्रेसवे है, जहां मीडियन के बीच मेटर क्रास बार्डर लगाए गए हैं। इससे अगर किसी एक लेन में कोई हादसा होता है तो दूसरी लेन प्रभावित नहीं होगी और ट्रैफिक चालू रहेगा।