यरुशलम। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की यात्रा से पहले सऊदी अरब ने अपने हवाई क्षेत्र को ‘‘सभी उड़ानों’’ के लिए शुक्रवार को खोल दिया, जो सऊदी के हवाई क्षेत्र में इजराइल की उड़ानों के प्रवेश पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध के अंत का संकेत है और दोनों देशों के बीच हालात सामान्य होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बाइडन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जो इजराइल से सीधे सऊदी अरब के लिए उड़ान भरने वाले हैं। बाइडन के दौरे से कुछ घंटे पहले ट्विटर पर पोस्ट किए गए बयान में सऊदी अरब के नागरिक उड्डयन के सामान्य प्राधिकरण ने कहा कि वह ‘‘उन सभी उड़ानों के लिए सऊदी के हवाई क्षेत्र को खोलने के निर्णय की घोषणा कर रहा है जो उड़ान के लिए प्राधिकरण की अनिवार्यताओं को पूरा करते हैं।’’यह घोषणा सऊदी और इजराइल के बीच संबंधों के सामान्य होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह ईरान के बढ़ते प्रभाव को लेकर साझा चिंताओं के कारण हाल के वर्षों में दोनों पूर्व शत्रु देशों के बीच बने मजबूत, लेकिन अनौपचारिक संबंधों को आगे बढ़ाता है। हाल के वर्षों में सऊदी अरब ने इजराइल और खाड़ी देशों के बीच उड़ानों को अपने हवाई क्षेत्र से होकर जाने की अनुमति दी है। इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बैठक के लिए 2020 में सऊदी अरब की उड़ान भरी थी और पिछले हफ्ते कई इजराइली रक्षा पत्रकारों ने देश का दौरा कर उनके स्वागत के संबंध में खबरें प्रकाशित कीं। बाइडन और इजराइल के प्रधानमंत्री यायर लापिड एक साथ खड़े हुए और घोषणा की कि वे ईरान को परमाणु शक्ति नहीं बनने देने वाले हैं।
हालांकि ऐसा करने का तरीका क्या होगा, इस पर दोनों नेताओं की राय अलग थीं। बाइडन ने इजराइली नेता के साथ आमने-सामने मुलाकात के बाद कहा कि वह अब भी कूटनीति को एक मौका देना चाहते हैं। इससे कुछ देर पहले, लापिड ने जोर देकर कहा कि सिर्फ बातों से ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं विफल नहीं होंगी। बाइडन ने आशा व्यक्त की कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के मकसद से उसे एक समझौते में फिर से शामिल होने के लिए राजी किया जा सकता है। बाइडन ने इजराइल और सऊदी अरब की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन कहा, ‘‘मेरा मानना है कि कूटनीति इस परिणाम को हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका है। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में यह पश्चिम एशिया की उनकी पहली यात्रा है। लापिड ने कहा, ‘‘बातों से उन्हें (ईरान को) नहीं रोका जा सकता। कूटनीति उन्हें नहीं रोक सकेगी। उन्होंने कहा, ईरान को केवल एक चीज रोकेगी और इसके लिए उन्हें इस बात का एहसास दिलाना होगा कि अगर उन्होंने अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करना जारी रखा तो दुनिया उनके खिलाफ बल का उपयोग करेगी।