इस्लामाबाद । अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज शीर्ष तालिबानी नेता मुल्ला हैबातुल्ला अखुंदजादा ने बड़ा बयान देते हुए पड़ोसी देशों को आश्वस्त किया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अन्य देशों पर हमले के लिए नहीं किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की अपील की। तालिबान ने कहा कि वह 2020 में अमेरिका के साथ हस्ताक्षर किये गये एक समझौते का पालन कर रहा है, जिसमें उन्होंने आतंकवादियों से लड़ने का वादा किया था। पिछले साल अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने बार-बार कहा है कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल अन्य देशों पर हमले करने के लिए नहीं किया जाएगा। अखुंदजादा ने ईद उल अजहा की छुट्टियों से पहले अपने संबोधन में कहा कि हम अपने पड़ोसियों, क्षेत्र और विश्व को आश्वस्त करते हैं कि हम अपनी धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश की सुरक्षा को खतरा डालने के लिए नहीं करने देंगे। तालिबान के आध्यात्मिक गुरु अखुंदजादा ने ईद उल अजहा पर अपने संदेश में कहा कि परस्पर संपर्क और प्रतिबद्धता के ढांचे के तहत हम अमेरिका समेत विश्व के साथ अच्छा, राजनयिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंध चाहते हैं तथा हमारा मानना है कि यह सभी पक्षों के हित में है।उल्लेखनीय है कि काबुल में उलेमा और कबायली सरदारों की तीन दिवसीय सभा बीते शनिवार को संपन्न हुई जिसमें तालिबान शासन के लिए समर्थन मांगा गया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से देश की तालिबान नीत सरकार को मान्यता देने की अपील की गई। अखुंदजादा ने दक्षिण कंधार प्रांत स्थित अपने ठिकाने से काबुल पहुंच कर शुक्रवार को सभा को संबोधित किया था। तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अखुंदजादा का काबुल का यह पहला दौरा माना जा रहा है। हैबतुल्लाह अखुंदजादा 2016 से तालिबान का सर्वोच्च कमांडर है। अखुंदजादा को इस्लामी कानूनी का बड़ा विद्वान भी माना जाता है। तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला हैबतुल्लाह अखुंदजादा ही करता है। 2016 में अचानक गायब होने से पहले हैबतुल्लाह अखुंदजादा दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक कस्बे कुचलक में एक मस्जिद में पढ़ाया करता था। यहीं से वह तालिबान के संपर्क में आया और इस खूंखार आतंकी संगठन के शीर्ष पद पर पहुंचा। माना जाता है कि उसकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और वह कंधार में गुप्त ठिकाने पर रहता है।
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