फतेहपुर। जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मंजिल कठिन नहीं होती। आज ऐसा ही एक नजारा कलेक्ट्रेट प्रांगण में देखने को मिला। पति की मृत्यु के बाद अपने पुत्रों का लालन-पालन कर रही विधवा एमए-बीएड महिला को एक समाजसेविका ने सहारा दिया और उनको आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। समाजसेविका की प्रेरणा से पढ़ी-लिखी महिला ने ई-रिक्शा का संचालन करने की इच्छा जाहिर की। समाजसेवियों के प्रयास से महिला सशक्तिकरण अभियान के तहत जिला उद्योग एवं उद्यमिता विकास केंद्र से महिला का ऋण कराकर बैंक आफ बड़ौदा के समन्वय से ई-रिक्शा दिलाया गया। जिसका उद्घाटन डीएम अपूर्वा दुबे ने किया। जिसके बाद अफसरों ने महिला के साथ रिक्शे पर बैठकर यात्रा की। महिला ने सभी का दिल से आभार जताया। बताते चलें कि शहर के रूपमती कालोनी निवासी विधवा महिला लक्ष्मी देवी एमए-बीएड है। पति की मृत्यु के बाद वह अपने दो पुत्रों का स्वयं ही लालन-पालन कर रही थी। गरीबी का दंश झेल रही महिला को समाजसेविका सुनिधि तिवारी ने सहारा दिया और कदम-कदम पर उसकी सहायता की। तत्पश्चात समाजसेविका ने महिला को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। लक्ष्मी देवी ने ई-रिक्शा का संचालन करने की इच्छा जाहिर की। जिस पर समाजसेविका ने समाजसेवी प्रदीप रस्तोगी के साथ मिलकर महिला को ई-रिक्शा दिलवाने की ठानी और स्वयं सहायता करते हुए जिला उद्योग एवं उद्यमिता विकास केंद्र में संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत महिला का ऋण करवाया। तत्पश्चात बैंक आफ बड़ौदा पटेलनगर शाखा के आपसी समन्वय से महिला को ई-रिक्शा दिलवाया। उधर महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत अपर जिलाधिकारी न्यायिक धीरेंद्र कुमार एवं एलडीएम वीडी मिश्रा के प्रयास से प्रथम महिला ई-रिक्शा का कामर्शियल लाइसेंस जारी करवाया गया। यह फतेहपुर जनपद की प्रथम महिला ई-रिक्शा चालक है। जो मंडल में तेरहवीं है। ई-रिक्शे का उद्घाटन गुरूवार को कलेक्ट्रेट प्रांगण में जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे ने फीता काटकर किया। तत्पश्चात उन्होने रिक्शे की चाबी महिला लक्ष्मी देवी को सौंपी। तालियों की गड़गड़ाहट से वातावरण गूंज उठा। ई-रिक्शा की चाबी हाथ में पाकर महिला का चेहरा खुशी से खिल उठा और वह रिक्शे की स्टेयरिंग पर बैठी। एडीएम के अलावा समाजसेवी ई-रिक्शा में बैठे और पहली यात्रा महिला के साथ की। महिला ने पत्रकारों को बताया कि पति की मृत्यु के बाद वह बेहद परेशान थी और अपने बच्चों का लालन-पालन स्वयं कर रही है। बताया कि पैसा न होने के कारण वह दर-दर की ठोंकरे खाने के लिए विवश थी। एमए-बीएड होने के बावजूद वह किसी दूसरे व्यक्ति का रोजगार नहीं करना चाहती थी वह स्वयं आत्मनिर्भर बनना चाहती थी। उसने सपनों को समाजसेविका सुनिधि तिवारी ने पंख लगाए और आज उसका सपना पूरा हो गया है। अब वह अपने बच्चों का लालन-पालन अच्छे ढंग से कर सकेगी। उसने अधिकारियों समेत समाजसेवियों का दिल से आभार जताया। इसके पूर्व जिलाधिकारी ने जनता दर्शन के दौरान फरियादियों की शिकायतों को सुना। फरियादी दिव्यांगजन सुरेन्द्र कुमार पुत्र महादेव निवासी ग्राम हरियापुर, पोस्ट बनरसी ब्लॉक बहुआ को तत्काल ट्राईसाइकिल उपलब्ध कराई।
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