वॉशिंगटन। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपना कैपस्टोन अंतरिक्ष यान लांच किया। इसके साथ आर्टेमिस अंतरिक्ष कार्यक्रम का शुरुआती चरण शुरू हो गया है। माइक्रोवेव ओवन के आकार का ये स्पेसक्राफ्ट 25 किग्रा का है। न्यूजीलैंड के माहिया प्रायद्वीप से स्थानीय समय के मुताबिक 10.55 बजे इस लांच किया गया। छह महीने तक ये चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा और नासा के लूनर गेटवे के इस्तेमाल से पहले कक्षा की स्थिरता का परीक्षण करेगा। लूनर गेटवे को 2024 में लॉन्च किया जाएगा। 50 वर्षों में पहली बार चंद्रमा पर इंसानों को लैंड कराने के लिए ये स्टेजिंग एरिया के रूप में काम करेगा। लूनर गेटवे चांद के चारों ओर घूमने वाला स्पेस स्टेशन होगा। ठीक उसी तरह जैसे पृथ्वी के चारों ओर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन होता है। इसी तरह का गेटवे संभावित मंगल ग्रह के मिशन के लिए जंपिंग-ऑफ पॉइंट के रूप में काम करेगा। कैपस्टोन अंतरिक्ष यान को 2021 में लांच किया जाना था। अमेरिकी कंपनी रॉकेट लैब के इलेक्ट्रॉन बूस्टर रॉकेट से इसे लांच किया गया है।नासा में लांच सेवाओं के निदेशक ब्रैडली स्मिथ ने इस लांच को शानदार बताया। उन्होंने कहा, हमें इस बनाने में आठ साल लगे हैं और आज हम लॉन्चिंग के दिन पर पहुंच गए हैं। हमारी अविश्वसनीय टीम ने कैपस्टोन को चांद की कक्षा के लिए भेज दिया है।’ कैपस्टोन चांद का हालो आकार में चक्कर लगाएगा। यानी ये चांद को केंद्र मान कर पूरी तरह गोल नहीं घूमेगा। चक्कर लगाने के दौरान चांद से इसकी दूरी बदलती रहेगी। ये चांद के सबसे नजदीक 1600 किमी और सबसे दूर 70,000 किमी तक चक्कर लगाएगा। चांद का एक चक्कर ये सात दिन में लगाएगा। जिस आकार में ये स्पेस क्राफ्ट चक्कर लगाएगा वैसा कभी भी अंतरिक्ष में किसी स्पेसक्राफ्ट ने नहीं लगाया है। चक्कर लगाने का ये रास्ता चांद और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बैलेंस प्वाइंट पर होगा, इससे कम ऊर्जा खर्च होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बैलेंस प्वाइंट के चलते कैपस्टोन दोनों के बीच में फंसा रहेगा और किसी एक के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित नहीं होगा। कैपस्टोन छह महीने इस तरह चक्कर लगाएगा ताकि लूनर गेटवे को गुरुत्वाकर्षण में फंसने से बचाया जाए। बाद में नासा इस जानबूझ कर चांद की सतह पर क्रैश करा देगी।
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