निजी अस्पतालों के प्रचार का माध्यम बने स्वास्थ्य कैंप

फतेहपुर। मरीजों को बेहतर उपचार मुहैया कराए जाने एवं समाजसेवा के उद्देश्य से प्राइवेट नर्सिंग होमों द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य कैंप का आयोजन किया जाता है लेकिन अब यह स्वास्थ्य कैंप मात्र प्रचार का माध्यम बन गए हैं। अस्पतालों में निःशुल्क स्वास्थ्य कैंप में आनेवाले मरीजों को सुविधाएं शून्य दी जाती हैं और उनका रजिस्ट्रेशन के नाम पर शुल्क वसूलकर शोषण किया जाता है। कभी-कभी तो कैंप राजनैतिक मंच भी बन जाता है और अतिथि के रूप में आने वाले नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत भी किया जाता है। ऐसे सफेदपोश नेताओं के संरक्षण में ही यह नर्सिंग होम फल-फूल रहे हैं और मरीज व तीमारदारों की जेबे ढीली कर रहे हैं। बताते चलें कि इन दिनों निजी नर्सिंग होम संचालकों को समाजसेवा करने का मानो जज्बा पैदा हो गया हो। यह जज्बा समाजसेवा का नहीं बल्कि अपने नर्सिंग होम के प्रचार-प्रसार करने का होता है। इसका एक सीधा रास्ता निःशुल्क कैंप है। पहले यह नर्सिंग होम संचालक निःशुल्क कैंप का ढिढोंरा पिटवाते हैं और निर्धारित तिथि पर अपने अस्पताल के बाहर धूप में टेंट लगवाकर व पंद्रह-बीस कुर्सियां डालकर उसे निःशुल्क कैंप की संज्ञा दे देते हैं। बैनर में बड़े-बड़े चिकित्सकों के नाम भी अंकित कराए जाते हैं जिससे मरीज आकर्षित होकर इन कैंपों की ओर भागा चला जाता है और यहां पर नर्सिंग होम संचालकों का खेल शुरू होता है। पहले तो रजिस्ट्रेशन कराने के नाम पर उनसे रकम की वसूली की जाती है फिर चिकित्सक उनका स्वास्थ्य परीक्षण करके बाहरी महंगी दवाएं एक सादी पर्ची पर लिख देते हैं। जब इन दवाओं से थोड़ा मरीज को लाभ पहुंचता है तो फिर नर्सिंग होम में उसी चिकित्सक को दिखाने में मरीज को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। इतना ही नहीं मरीजों से जांच के नाम पर भी कमीशनखोरी का खेल खेला जाता है। ऐसा ही एक नजारा गुरूवार को आबूनगर स्थित एक प्राइवेट नर्सिंग होम में देखने को मिला। जहां निःशुल्क कैंप के नाम पर मरीजों का जहां आर्थिक शोषण किया गया वहीं यह कैंप कम राजनैतिक मंच ज्यादा नजर आया। यहां अतिथि के रूप में पहुंचे बसपा नेताओं का गर्मजोशी के बीच घंटों स्वागत का सिलसिला चला। यह कैंप दिन भर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा।