बहराइच। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, प्रधान न्यायपीठ नई दिल्ली के न्यायाधीश डॉ. अफरोज अहमद ने बुधवार को कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार का भ्रमण किया। कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार के भ्रमण के दौरान डॉ. अहमद ने कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार अन्तर्गत आने वाले जल, जंगल एवं वनस्पतियों का बारीकी से अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान यहां पर उन्हें तमाम प्रकार के जीवन दायिनी जड़ी बूटियां, विलुप्त हो रहे प्रजाति के जीव जंतुओं एवं पक्षियां को दीदार होने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य जैव विविधता से भरपूर है, आवश्यकता है इसे संरक्षित करने की। न्यायाधीश डॉ अहमद ने अपेक्षा की कि राजस्व व वन विभाग आपसी समन्वय से वन्य जीव विहार के आस-पास रहने वाले ग्रामीणों के विकास के आवश्यक कार्यवाही करें। साथ ही वन ग्रामों के परम्परागत दक्ष कारीगरों द्वारा स्थानीय वनस्पतियों के माध्यम से तैयार उत्पादों चटाई, टोकरी, दोना-पत्तल समेत अन्य उत्पादों तथा पाककला को ईको टूरिज्म से जोड़कर बाज़ार उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म से जुड़ने पर स्थानीय कौशल और कल्चर का लोगों के साथ साक्षात्कार होने से स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे। डॉ. अहमद ने यह भी सुझाव दिया कि कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य में पाए जाने वाले जीव जंतुओं के चित्रों की जैकेट, टोपी, गमछा, रुमाल, टी-शर्ट इत्यादि पर कढ़ाई के लिए ग्रामीणों प्रशिक्षण देकर पर्यटकों को कतर्नियाघाट वन्य जीव के लिए लुभाकर स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाकर सरकार के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी की जा सकती है। डॉ. अफरोज द्वारा कतर्नियाघाट में आउटलेट खोलने का भी सुझाव दिया। इस अवसर पर कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य के डीएफओ आकाश दीप बधावन सहित अन्य सम्बन्धित लोग मौजूद रहे।
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