यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की चीन की घुड़की नाकाम, पुतिन के समर्थन में उतरे चीनी राष्‍ट्रपति

बीजिंग। यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की चीन की गई घुड़की अंतत: नाकाम साबित हुई। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन की चेतावनी को अनसुना करते हुए चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने यूक्रेन जंग के बीच रूस के संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का जमकर समर्थन किया है। रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में जिनपिंग ने यह भी कहा कि सभी पक्षों को यूक्रेन संकट के समुचित समाधान के लिए पूरी ज‍िम्‍मेदारी के साथ जोर देना चाहिए। उधर, रूसी राष्‍ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पुतिन ने यूक्रेन में हालात के मूलभूत आकलन के बारे में बताया।रूस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शी जिनपिंग ने विदेशी ताकतों की ओर से पैदा किए गए सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रूस के अपने मूलभूत राष्‍ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाए कदमों की वैधानिकता को स्‍वीकार किया। चीन ने रूस के यूक्रेन पर हमले की आलोचना नहीं की है और इसे उस तरह से देखा भी नहीं है। साथ ही नाटो और पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है कि वे रूस को हमला करने के लिए उकसा रहे हैं। इससे पहले अमेरिका ने चीन और रूस के बीच गठजोड़ पर चिंता जताई थी। अमेरिका ने उन देशों को चेतावनी दी है जो यूक्रेन पर रूस के हमले में पुत‍िन का समर्थन कर रहे हैं। अमेरिका ने कहा था कि ऐसे देश ‘इतिहास के गलत पक्ष की ओर’ होंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने कहा, ‘चीन का दावा है कि वह न्‍यूट्रल है लेकिन उसका व्‍यवहार यह स्‍पष्‍ट करता है कि वह रूस के साथ नजदीकी संबंध के लिए निवेश कर रहा है।’ रूस के 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले से ठीक पहले पुतिन और शी जिनपिंग बीजिंग में मिले थे और एक समझौते के गवाह बने थे जिसमें कहा गया था कि रूस और चीन के रिश्‍ते इस तरह से बढ़ाया जाएगा जिसकी कोई सीमा नहीं होगी।यह अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं है कि चीनी राष्‍ट्रपति उस समय रूस के यू्क्रेन पर हमले की योजना के बारे में जानते थे या नहीं। चीन में हो रहे विंटर ओलंपिक से ठीक पहले हुई इस बैठक में पुतिन और जिनपिंग ने अमेरिका की ओर से बढ़ते दबाव पर पलटवार किया था। उन्‍होंने नाटो किसी भी विस्‍तार का विरोध किया था। साथ ही यह भी कहा था कि ताइवान चीन का हिस्‍सा है। चीन ने सोची समझी रणनीति के तहत रूस को यूक्रेन पर हमले में रणनीतिक समर्थन दिया और यह भी दिखाने की कोशिश की कि वह न्‍यूट्रल है। इससे चीन रूस का समर्थन करने के आरोप में पश्चिमी देशों की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के खतरे से बच गया।