ज्वार-बाजरा की फसल से सुधरेगी सेहत के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति

बांदा।खरीफ की फसल में ज्वार बाजरा की उपज से किसानों की सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों सुधरेंगी। मंडल में इस बार इन दोनों फसलों का रकबा बढ़ाया गया है। चारों जिलों में इस वर्ष 63,387 हेक्टेयर में ज्वार और 12,558 हेक्टेयर में बाजरा की फसल लहलहाएगी। बांदा में बाजरा 2485 हेक्टेयर में तो चित्रकूट में सबसे ज्यादा 9,982 हेक्टेयर में किसान बोएंगे। वहीं ज्वार की खेती सबसे ज्यादा बांदा में 26,117 हेक्टेयर में होगी। अभी तक यहां किसान धान और तिल आदि को ज्यादा तवज्जो देते रहे हैं। अब किसानों को मोटे अनाजों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उनके आर्थिक तरक्की की राह तैयार हो सकें।शासन का जोर बुंदेलखंड के किसानों की आय बढ़ाने पर है। इसके लिए कृषि विभाग और कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय किसानों को खेती की नई-नई तकनीक उपलब्ध करा रहे हैं। किसान धान और तिल, मूंग, उर्द आदि की खेती करते हैं, लेकिन कभी ज्यादा बारिश तो कभी सूखा की स्थिति से किसानों को घाटा उठाना पड़ता है। जबकि बुंदेलखंड में दो दशक पहले तक मोटे अनाजों ज्वार, बाजरा, कोदो आदि की अच्छी उपज होती रही है। इधर, बेसहारा गोवंशी पशुओं की वजह से किसानों ने इन फसलों से मुंह मोड़ लिया है। इससे किसानों की सेहत के साथ आर्थिक स्थिति भी बदहाल हो रही है। अब मोटे अनाजों की मांग देश भर में बढ़ी है। ऐसे में शासन का जोर है कि बुंदेलखंड फिर मोटे अनाजों के उत्पादन का हब बने। इसके लिए इस वर्ष मंडल के चारों जिलों में ज्वार और बाजरा का रकबा बढ़ाया गया है। किसानों को उन्नतशील बीज भी राजकीय बीज भंडारों से दिए जा रहे हैं।उप कृषि निदेशक विजय कुमार का कहा,कि मंडल में इस बार खरीफ में धान और तिल की जगह मोटे अनाजों का दायरा बढ़ाया गया है। किसानों की इन मोटे अनाजों से आय बढ़ेगी। अब गोवंशी पशु भी ज्यादातर गोशालाओं में संरक्षित हो गए हैं। किसान ज्वार-बाजार की खेती करें और अच्छा लाभ लें।