रुपईडीहा, बहराइच। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर 59 वी वाहिनी सशस्त्र सीमा बल नानपारा के परिसर व अधीनस्थ समवाय में 500 पौधों का रोपण किया गया। इस अवसर पर कार्यवाहक कमांडेंट वैभव के साथ शेखर बजाज उप कमांडेंट व डॉ विकास कुमार उप कमांडेंट पशु चिकित्सा अधिकारी ने पीपल, बरगद, आम, सागवान, नीम, आंवला इत्यादि के पौधे रोपित कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया। कार्यक्रम का आयोजन 59वी वाहिनी के कार्यवाहक कमांडर वैभव के निर्देशानुसार किया गया। जहां कार्यवाहक कमांडर ने विश्व पर्यावरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस प्रकृति के प्रति प्रेम व पर्यावरण से जुड़े मुद्दों से लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह कार्यक्रम इस पृथ्वी की सुंदरता को बनाए रखने के लिए बहुत ही आवश्यक है। हमें वर्षभर पर्यावरण संतुलन के विषय में सकारात्मक गतिविधियों को ध्यान रखते हुए अधिकाधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण सुंदर, मनमोहक, आकर्षक बन सके। वहीं जंगली जीवन की सुरक्षा भी पर्यावरण को बचाए रखने की दृष्टि से नितांत महत्वपूर्ण होती जा रही है। वर्तमान समय में एक ओर जहां पर्यावरण के घटकों के ब्लुप्त होने के कारण पृथ्वी के जीवन चक्र का संतुलन खोता जा रहा है, चारों ओर जीवो के मृतक अवशेषों व विभिन्न प्रकार की गंदगी से पर्यावरण दूषित हो रहा है, विभिन्न प्रजाति के पशु पक्षी पर्यावरण असंतुलन के अभाव में विलुप्त हो चुके हैं, जिससे हमारे जीवन पर भारी संकट मंडरा रहा है। पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का दुष्परिणाम है कि हम विगत वर्षों में कोरोना जैसी भयानक महामारी के रूप में झेल चुके हैं। पर्यावरण का उद्देश्य जंगल तथा जंगली जीव जंतुओं की सुरक्षा करना भी है। जिससे कि जंगलों को बचाया जा सके। पेड़ पौधे ही मानव जीवन का आधार है। मनुष्य के साथ जीव जंतुओं को भी भोजन से लेकर समस्त उपयोगों के लिए पेड़ पौधों पर ही आश्रित रहना पड़ता है, यदि वह ही नहीं रहेंगे तो हमें जीवन दायिनी प्राणवायु आक्सीजन कहां से प्राप्त होगी। हमारा कर्तव्य है कि अपने चारों ओर अधिकाधिक संख्या में पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को मनमोहक बनाना एवं दूसरे लोगों को भी जागरूक करना। जिससे कि हम मानव जीवन को बड़े संकट से निकालने में सफलता प्राप्त कर सकें। कार्यक्रम के दौरान 59वी वाहिनी एसएसबी समूह के समस्त जवानों की उपस्थिति बनी रही।
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