जेनेवा। यूरोप से लेकर अमेरिका तक मंकीपॉक्स का संक्रमण फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक 20 देशों में 257 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रविवार को कहा कि मंकीपॉक्स वैश्विक स्तर पर समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक मध्यम जोखिम है। उन देशों में मामले सामने आए हैं, जहां आमतौर पर यह बीमारी नहीं पाई जाती है। हालांकि, मंकीपॉक्स पर चेचक की वैक्सीन असरदार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जिस भी देश में मंकीपॉक्स वायरस के मामले मिले हैं उसने अपना स्वरूप नहीं बदला है। कहने का मतलब यह है कि जिन देशों में इस वायरस की उत्पत्ति हुई उन देशों और जहां ये वायरस फैला उन देशों में समान पाया गया है। इसके स्वरूप में कोई बदलाव नहीं पाया गया है। डब्ल्यूएचओ ने उन देशों को बचाव के लिए तत्काल कदम उठाने की सख्त हिदायत दी जिनमें ये वायरस नहीं फैला है।डब्ल्यूएचओ में वैश्विक संक्रमण खतरों से निपटने के लिए बनाए गए कार्यदल की निदेशक सिल्वी ब्रायंड ने बताया कि हमारे पास मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने का मौका है। अगर सही जगहों पर सही उपाय करें तो इसे स्थानीय स्तर पर ही रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि ये वायरस कोरोना वायरस की तरह फैल सकता है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि उसके मुकाबले कम तेजी से फैलता है। अभी व्यापक स्तर पर टीके लगाने की जरूरत नहीं है लेकिन संक्रमण वाली जगहों पर टीकाकरण किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ में चेचक सचिवालय के प्रमुख रोजमंड लेविस ने कहा कि संक्रमितों की जांच, उनके संपर्कों की निगरानी और होम आइसोलेशन जैसे उपाय इस बीमारी में भी सर्वाधिक प्रभावी होंगे।अमेरिका ने मंकीपॉक्स के 9 मामलों की पुष्टि की है। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इजराइल और स्विट्जरलैंड सहित कुछ गैर-स्थानिक देशों में भी मंकीपॉक्स के मामलों की रिपोर्ट की गई है। यूरोपीय संघ ने मंकीपॉक्स के 118 मामलों की पुष्टि की है। ब्रिटेन ने 90 मामलों की पुष्टि की है। स्पेन और पुर्तगाल ने 51 और 37 मामलों की पुष्टि की है। कनाडा में 16 मामलों की पुष्टि की गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि भारत इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और देश में अभी तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है। आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ अपर्णा मुखर्जी ने कहा है कि हमारी तैयारियां पूरी हैं। आईसीएमआर की ओर से इससे बचने के दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से आए लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी। भारतीय प्राइवेट हेल्थ डिवाइस कंपनी ट्रिविट्रान हेल्थकेयर ने मंकीपॉक्स यानी आर्थोपॉक्सवायरस का पता लगाने के लिए एक रियल-टाइम आरटी-पीसीआर किट विकसित करने की घोषणा की है। ट्रिविट्रॉन की मंकीपॉक्स रियल-टाइम पीसीआर किट चार रंग फ्लोरोसेंस पर आधारित किट है। ये किट एक ट्यूब में चेचक और मंकीपॉक्स के बीच अंतर कर सकती है। कंपनी का कहना है कि इसमें 1 घंटे का समय लगता है। चार जीन पर आधारित आरटी-पीसीआर किट में पहला व्यापक ऑर्थोपॉक्स ग्रुप में वायरस का पता लगाता है, दूसरा और तीसरा मंकीपॉक्स और चेचक वायरस को अलग करता है।
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