नई दिल्ली। होटल और रेस्तरां उद्योग संगठन ने कहा कि रेस्तरां द्वारा लगाया गया सेवा शुल्क अवैध नहीं है और यह ग्राहकों पर निर्भर करता है कि वे यह देना चाहते हैं या नहीं। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने कहा सेवा शुल्क रेस्तरां की तरफ से संभावित ग्राहकों के लिए एक प्रस्ताव की तरह है। एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्शीश सिंह कोहली ने कहा कि यह ग्राहकों को तय करना है कि वे रेस्तरां को सेवा शुल्क देना चाहते हैं या नहीं। इसमें कुछ भी गलत या अवैध नहीं है और न ही यह रेस्तरां के लिए सेवा शुल्क वसूलने के कानून का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अगर कोई ग्राहक कहता कि वे सेवा शुल्क नहीं देना चाहता तो यह शुल्क नहीं लगाया जाता है। उद्योग संगठन ने तर्क दिया कि यह भारत समेत कई अन्य देशों में एक सामान्य प्रथा की तरह है। उसने कहा कि सेवा शुल्क बोलचाल की भाषा में टिप’ के रूप में जाना जाता है। यह रेस्तरां के कर्मचारियों को उसके मेहमानों द्वारा सेवा की रूप में दी गई राशि है। इसके अलावा एफएचआरएआई के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगर किसी ग्राहक या उपभोक्ता को सेवा शुल्क देने में कोई आपत्ति है तो उसे बिल से हटाया जा सकता है। गौरतलब है कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर करने संबंधी मामले में चर्चा को लेकर नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के साथ 2 जून को एक बैठक बुलाई है।
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