बांदा।सरकार ने इस बार बजट में बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को भी ध्यान में रखा है। यहां करोड़ों रुपये की लागत से पशुपालन महाविद्यालय करीब आठ वर्ष पहले बनकर तैयार हो गया था। लेकिन टीवीसीसी (लैब) न बनने से इसकी मान्यता में रोड़ा फंसा था। सरकार ने करीब साढ़े 29 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है। टीवीसीसी भवन बन जाने से पशुपालन महाविद्यालय को मान्यता मिल जाएगी, जिससे बुंदेलखंड में पशुओं का नस्ल सुधार होगा। पशुओं की बीमारियों पर शोध होगा। इससे पशुओं को बेसहारा छोड़ने की प्रथा भी खत्म हो जायेगी।कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की स्थापना दो दशक पहले हुई थी। इसमें मौजूदा समय में वानिकी, उद्यान, गृह विज्ञान, कृषि महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। वर्ष 2014 में पशुपालन महाविद्यालय के लिए करीब 36 करोड़ रुपये मिले थे। इस महाविद्यालय का भवन करीब आठ वर्ष पहले बनकर तैयार हो गया था, लेकिन इसकी मान्यता में पेंच फंसा था। बिना टीवीसीसी के मान्यता नहीं मिल पा रही थी। तत्कालीन कुलपति डा.यूएस गौतम के प्रयास से डेढ़ वर्ष पहले पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय में टीचिंग वेटनरी क्लीनिकल कांपलेक्स (टीवीसीसी) के निर्माण की स्वीकृति मिली। करीब 37 करोड़ छह लाख 98 हजार रुपये का अनुमोदन मिला। वित्तीय वर्ष 2021-22 में तीन करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया था। इसमें प्रथम किश्त के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये मिले थे। इससे भवन का निर्माण करीब 15 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। आगे बजट का इंतजार था। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पशुपालन महाविद्यालय में क्लीनिक बनाने के लिए करीब 18 करोड़ का प्रविधान किया है। इसके बनने के बाद पशुपालन महाविद्यालय की मान्यता मिलने की राह आसान हो जाएगी। साथ ही करीब पांच करोड़ रुपये सड़क बनाने और साढ़े चार करोड़ रुपये टाइप-4 आवास बनाने और डेढ़ करोड़ टाइप-1 आवास के लिए स्वीकृत किए गए हैं।कृषि विश्वविद्यालय में टीचिंग वेटनरी क्लीनिकल कांपलेक्स (टीवीसीसी) बन जाने से बुंदेलखंड की स्थिति में तेजी से बदलाव आएगा। डा.बीके सिंह ने बताया कि सीसीटीवी बुंदेलखंड में पशुपालकों के लिए वरदान साबित होगा। कृषि विश्वविद्यालय बुंदेलखंड में सबसे बड़ी समस्या गोवंशी पशुओं को बेसहारा छोड़ने की प्रथा रोकने पर काम कर रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय में आधुनिक गोशाला खोली गई है। यहां बेसहारा पशुओं का नस्ल सुधारकर इन्हें दुधारू बनाया जा रहा है। लैब शुरू हो जाने के बाद इस पर तेजी से काम होगा। पशुओं में होने वाली गंभीर बीमारियों को लेकर शोध होंगे। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए भी कार्य किए जाएंगे।
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