कीव। यूक्रेन पर रूस के हमले को तीन महीने से अधिक हो गए युद्ध है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस जंग में यूक्रेन बर्बाद हो रहा है और रूस दुनिया से अलग-थलग पड़ रहा है। इसके बाद भी रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा। ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडोमिर जेलेंस्की ने पश्चिम देशों से सख्त रवैया अपनाने की का दर्द झलक गया उन्होंने ‘हिस्ट्री एट ए टर्निंग प्वॉइंट’ समिट में अपने भाषण में कहा कि अब समय है कि पश्चिम देश रूस के आगे-पीछे घूमने के बजाय उस पर सख्त से सख्त प्रतिबंध लगाए, ताकि ये देश इस तर्कहीन जंग को खत्म करे। जेलेंस्की ने आगे कहा, ‘अगर दुनिया ने रूस का जवाब नहीं दिया, तो एक बार फिर दुनिया में क्रूर शक्ति का राज होगा। अगर रूस युद्ध जीता तो ये समिट बेकार हो जाएगी।’जेलेंस्की ने कहा, ‘एकता हथियारों के बारे में है। मेरा सवाल यह है कि क्या व्यवहार में यह एकता है? मैं इसे नहीं देख सकता। रूस के खिलाफ हमारा बड़ा फायदा तब होगा जब हम वास्तव में एकजुट होंगे।’ बता दें वॉशिंगटन और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार दिए हैं ताकि यूक्रेनी सेना को बेहतर हथियारों से लैस रूसी बलों को हराने में मदद मिल सके।कीव ने अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो सैन्य गठबंधन में अधिक समर्थन, सदस्यता और देश पर नो-फ्लाई ज़ोन लागू करने की अपील की है। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के समर्थन के लिए आभारी है। हालांकि उन्होंने कहा, ‘हम यूरोपीय महाद्वीप में हैं और हमें एकजुट यूरोप के समर्थन की जरूरत है।’ इससे पहले अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने यूक्रेन और रूस के युद्ध में सुझाव दिया है कि पश्चिम जितना इसमें बढ़ेगा उतना की फंसता जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन को युद्ध रोकने के लिए रूस को अपनी कुछ जमीन दे देनी चाहिए। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने कड़े शब्दों में इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी। जेलेंस्की ने कहा कि रूस चाहे जो कर ले वह अपनी जमीन नहीं देने वाले।हेनरी किसिंजर (98) दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोल रहे थे। किसिंजर ने कहा कि यूक्रेन को रूस के साथ बातचीत करनी चाहिए, क्योंकि एक समय जब तनाव ज्यादा बढ़ जाएगा तो यह संभव नहीं होगा और यूक्रेन ही इससे कमजोर होगा। उन्होंने कहा, ‘आदर्श रूप तो ये है कि बॉर्डर पर पहले जैसी स्थिति हो। उसके आगे नहीं बढ़ना चाहिए क्योंकि ये सीधे रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ना माना जाएगा। अपने हित को देखते हुए यूक्रेन को अपनी कुछ जमीन रूस को दे देनी चाहिए।’ जेलेंस्की ने किसिंजर के प्लान की तुलना 1938 के अपीसमेंट एग्रीमेंट से की, जिसमें युद्ध से बचने के लिए ब्रिटेन ने हिटलर को अपना क्षेत्र बढ़ाने की इजाजात दी थी, जिसे एक बेहद कमजोर पॉलिसी माना जाता है।इसके साथ ही जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से यूक्रेन में निवेश करने की अपील भी की। उन्होंने कहा- ‘कई देशों की बड़ी कंपनियां रूस छोड़ रही हैं। हम इन देशों और कंपनियों से गुजारिश करते हैं कि वो रूस से निकलकर यूक्रेन में इन्वेस्टमेंट करें। हम अपने देश को नए सिरे से तैयार करना चाहते हैं। हमारे देनसा शहर में रूस ने 89 नागरिकों का कत्ल किया है। जुलाई में लुगानो कॉन्फ्रेंस होने वाली है। यहां हम सभी देशों से अपील करेंगे कि वो यूक्रेन में इन्वेस्टमेंट करें।’
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