गेहूं और चीनी के बाद चावल के निर्यात पर बैंन लग सकती हैं मोदी सरकार

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच 3 महीने से ज्यादा समय से छिड़ी लड़ाई के कारण दुनिया भर में अभूतपूर्व खाद्य संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसके बाद कई देश घरेलू बाजार में खाने-पीने की चीजों की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए निर्यात पर पाबंदियां लगा रहे हैं। गेहूं और चीनी का निर्यात रोक भारत पहले ही सूची का हिस्सा बन चुका है। अब मोदी सरकार चावल के निर्यात पर भी पाबंदियां लगाने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री कार्यालय घरेलू बाजार में खाने-पीने की चीजों के दाम को नियंत्रित रखने के लिए उत्पाद-दर-उत्पाद आधार पर आकलन कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पांच जरूरी उत्पादों के निर्यात पर पाबंदियां लगाने की तैयारी चल रही है। इसमें से दो प्रॉडक्ट गेहूं और चीनी के निर्यात पर पाबंदियां लग चुकी हैं। आने वाले समय में जिन उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी लगाने की योजना है, उनमें गैर-बासमती चावल भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि गैर-बासमती चावल के मामले में उसी तरह की पाबंदी लग सकती है, जैसी चीनी के मामले में लगाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, महंगाई को उच्च स्तर से हैंडल किया जा रहा है। कीमतों की निगरानी करने वाली समिति हर सामान को लेकर बैठक कर क्या एक्शन लिया जाए, इस बारे में विचार कर रही है। सूत्र ने बताया कि चावल पर भी चीनी की तरह पाबंदी लग सकती है। चीनी के मामले में सरकार ने निर्यात पर 20 लाख टन का कैप लगाया है। भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। चावल का निर्यात करने के मामले में भारत से आगे सिर्फ चीन है। भारत ने 2021-22 में 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात किया था। इस दौरान भारत ने गैर-बासमती चावल के निर्यात से एग्री कमॉडिटीज में सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा की कमाई की। चूंकि अभी ज्यादातर देश अनाजों के मामले में इनवार्ड पॉलिसी अपना रहे हैं, भारत भी चाहता है कि पहले घरेलू जरूरतों को पूरा करे और इसके बाद पड़ोसी देशों के साथ उन देशों को चावल का निर्यात किया जाए, जो बेहद जरूरतमंद हैं।