चित्रकूट। भगवान कामतानाथ की तलहटी बिहारा गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को कथा रसपान कराते हुए कथा वाचक आचार्य नवलेश दीक्षित ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां जा रहे है वहां आपका, अपने ईष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्मदाता पिता का ही घर क्यों न हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। कथा में उत्तानपाद के वंश में धु्रव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि धु्रव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त धु्रव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है। उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया। साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नरसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान आचार्य नवलेश दीक्षित ने भजनों की प्रस्तुति दी। सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ग्राम पंचायत बिहारा में स्वर्गीय शांति देवी की स्मृति में हो रही है। इस कथा के आयोजक राम स्वयंवर मिश्रा है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए चित्रकूट के संत महंत सहित आसपास के ग्रामीण मौजूद रहे। कथा के दौरान राम नरेश मिश्रा, बाबूलाल मिश्रा, रमाकांत मिश्रा, श्याम लाल द्विवेदी, भोले राम शुक्ला, रजनीश तिवारी, उदयभान द्विवेदी, मुन्ना त्रिपाठी, सूर्यपाल शुक्ला आदि मौजूद रहे।
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