लखनऊ । आंधी- तूफान में गई बिजली के बाद इंजीनियरों पर हुई कार्रवाई का विरोध तेज हो गया है। उप्र पावर आफिसर्स एसोसिएशन ने इसको नियम विरोध बता दिया है। दलील है कि विद्युत वितरण संघीता 2005 के अनुसार आंधी और पानी के दौरान अगर बिजली कटती है तो उसके लिए कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है।यह एक प्राकृतिक आपदा है। सोमवार को आंधी की वजह से मार्टिनपुरवा ट्रांसमिशन लाइन की बिजली 7 मिनट के लिए गई थी। इसकी वजह से विधान सभा की कार्रवाई भी करीब 3 सेकेंड के लिए प्रभावित हो गई थी। बताया जा रहा है कि इसी वजह से एक्सईएन, एसडीओ और जेई के खिलाफ कार्रवाई की गई है।एसोसिएशन के कार्य वाहक अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि प्राकृतिक आपदा पर किसी का कंट्रोल नहीं इसलिए इस प्रकार की कार्रवाई पर प्रबंधन को अविलंब विचार करना चाहिए। आकस्मिक प्राकृतिक आपदा पर सिस्टम पर काम करने वाले अभियंताओं ही नही बल्कि किसी का कोई कंट्रोल नहीं होता । ऐसे में चेयरमैन से शिकायत दर्ज कराई जाएगी। इससे पहले सोशल मीडिया पर भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ लोग आवाज उठाने लगे है।संगठन की तरफ से इसको लेकर बैठक बुलाई गई थी। इसमें तय किया गया था कि इसके खिलाफ विरोध दर्ज किया जाएगा। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार ,सचिव आरपी केन , महासचिव अजय कुमार, संघटन सचिव बिन्दा प्रसाद, अजय कनौजिया ,संजीव भास्कर, एसके विमल, संजय पासवान, अनिल कुमार, विन्दा प्रसाद प्रमुख सचिव ऊर्जा व प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से भी मुलाकात करेंगे।उनके सामने वस्तुस्थित रखते हुए इस प्राकृतिक आपदा के चलते उत्पन्न हुए विद्युत व्यवधान पर अधिशासी अभियंता सहित अन्य अभियंताओ के निलंबन पर अभिलंब पुनर्विचार करने को कहा जाएगा। उसके बाद भी बात नहीं मानी गई तो आंदोलन होगा।
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