चित्रकूट। भगवान श्रीराम की तपोस्थली की तलहटी ग्राम बिहारा में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा व्यास भागवत रत्न आचार्य नवलेश दीक्षित ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं, लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है।कथा व्यास ने पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया। कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। कथा व्यास ने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्ति किया। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया। इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया। भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए। परमात्मा दिखाई नहीं देता है वह हर किसी में बसता है। श्रीमद् भागवत कथा सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध रहे। श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन स्व शांति देवी मिश्रा की स्मृति पर हो रहा है। इस अवसर पर आयोजक रामस्वयंवर मिश्रा, रमाकांत मिश्रा, सुंदरलाल, बाबूलाल, श्यामलाल द्विवेदी, भोलेराम शुक्ला, पवन, रामजी पयासी, मुन्ना त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
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