बच्चों के पालन-पोषण में न करें ये गलती

नई दिल्ली। बच्चों के पालन-पोषण की प्रक्रिया में व्यक्ति को जिम्मेदार होना चाहिए और कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए, ताकि बच्चे का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। ऐसी गलतियां आपकी अपने बच्चे की लाइफ में कम इन्वोल्वमेंट से लेकर ओवर-प्रोटेक्टिव होने और बच्चे को जरूरी प्राइवेसी देने तक, अलग-अलग हो सकती हैं। हालांकि इनमें से कुछ ऐसी गलतियां हैं जिन्हें जल्दी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जो आपके बच्चे के लिए स्थायी मानसिक समस्याएं पैदा कर सकती है। इनके बारे में जानिए। आज का हमारा समाज बच्चों पर स्कूल में बहुत अच्छा परफॉर्म करने पर जोर देता है और केवल कुछ करियर स्ट्रीम को ही अच्छा मानता है। ये हमें एक संकीर्ण सोच वाली पैरेंटिंग अप्रोच की ओर ले जाता है, जहां आप अपने बच्चों को ये चुनने नहीं देते कि क्या करना है। ऐसे में हर समय तुलना किए जाने के कारण उनका आत्मविश्वास खो सकता है, बच्चा डिप्रेशन और स्ट्रेस से पीड़ित हो सकता है, और जिस स्ट्रीम में वो एनरोल्ड (नामांकन) हैं, उसमें भी उसका इंट्रस्ट खत्म हो सकता हैं।जब आप अपने बच्चों का माइक्रोमैनेजमेंट करते हैं, तो इससे उन्हें एक तरह से हर समस्या का समाधान चम्मच से खिलाया जाता है। ये तरीका बच्चों में किसी भी समस्या को सुलझाने की मानसिकता को अच्छी तरह विकसित नहीं होने देता है। नतीजतन, बच्चे अपने माता-पिता पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो जाते हैं और अपने दम पर खड़े नहीं हो पाते हैं। एक वक्त ऐसा आता है कि बुद्धिमान होने के बावजूद, वो अपनी भावनात्मक अपरिपक्वता की वजह से लाइफ की छोटी-छोटी समस्याओं को भी ठीक से हल नहीं कर पाते है। ऐसे में पैरेंट्स के लिए बच्चों को आत्मनिर्भर बनना सिखाना बेहद जरूरी है।कभी-कभी पेरेंट्स अपने बच्चों पर बहुत ज्यादा कंट्रोल करने लगते हैं। वे बच्चों के लिए सभी शर्तों को निर्धारित करते हैं और उन्हें कोई भी चीज या खेल चुनने या मजे लेने की कोई फ्रीडम नहीं देते हैं। डराने-धमकाने का पैरेंट्स का ये व्यवहार नियम तोड़ने पर अपने बच्चों को सजा देने लिए प्रेरित करता है और इस प्रोसेस में, बच्चे अपना आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास खो देते हैं। उनमें एंग्जाइटी आना शुरू हो जाता है और ऐसे में दूसरों के साथ विश्वास और घनिष्ठता बढ़ाना ऐसे बच्चों के लिए एक बड़ा काम बन जाता है। बच्चों के साथ बेहतर संवाद बहुत जरूरी है, ताकि वे आपके साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में झिझकें नहीं। लेकिन जब वे ऐसा करते हैं, तो उन भावनाओं को सिरे से खारिज करके या अपने अनुभवों के बारे में बात करके उन्हें गलत साबित करने की कोशिश करने के बजाय, उनके लिए एक अच्छा श्रोता बनें। उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें, न कि उन्हें उसके लिए डांट लगाएं।बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा इन्वॉल्व होना कठिन है, लेकिन इन्वॉल्व नहीं होने की वजह से भी आपके बच्चे लंबे समय में आपसे अलग हो सकते हैं। अपने बच्चों को नज़रअंदाज करना और उनकी उपलब्धियों पर पर्याप्त प्रशंसा नहीं दिखाना, उनमें आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकता है। जहां वे एक कम उपलब्धि वाले इंसान की तरह महसूस करते हैं। इससे वे हमेशा खुद को आपके प्यार और ध्यान के योग्य साबित करने की कोशिश करते रहते हैं। भावनात्मक उपेक्षा से बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं होता है। बता दें कि आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में लोगों के लिए पैरेंटिंग एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है। अगर चीजें सही तरीके से नहीं की जाती हैं तो बच्चे की परवरिश एक बुरे सपने में बदल सकती है।