पटियाला जेल के वार्ड नंबर 10 में करवटें बदलते गुजरी सिद्धू की पहली रात, खाना भी नहीं खाया

पटियाला पुणे । 1988 के रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को सरेंडर कर दिया। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सिद्धू को पटियाला जेल के वार्ड नंबर 10 में रखा गया है। जेल में सिद्धू की पहली रात करवटें बदलते हुए गुजरी। उन्होंने शुक्रवार रात का खाना नहीं खाया। सिर्फ कुछ दवाएं ही लीं। पटियाला जेल के एक अधिकारी ने बताया सिद्धू ने शुक्रवार को रात का खाना नहीं खाया। उन्होंने बस कुछ दवाएं ही खाईं। अधिकारी के मुताबिक, सिद्धू जेल कर्मचारियों से पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं। उनके लिए किसी खास तरह के खाने का इंतजाम नहीं किया गया। अगर डॉक्टर किसी विशेष भोजन की सलाह देंगे तो वह जेल की कैंटीन से खरीदकर उसे खा सकते हैं।कैदी नंबर 241383 यानी नवजोत सिंह सिद्धू को जिस सेल में रखा गया है, वह करीब 10 गुना 15 फीट का कमरा है, उन्हें एक कुर्सी-मेज, एक अलमारी, एक कंबल, एक बेड, दो तौलिये, एक मच्छरदानी, एक कॉपी-पेन, एक जोड़ी जूते, दो बेडशीट और चार कुर्ते-पजामे दिए गए हैं। सिद्धू को सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। ऐसे में पहले तीन महीने तक उनकी ट्रेनिंग चलेगी और काम करने पर कोई पारिश्रमिक नहीं मिलेगा। उसके बाद ही उन्हें स्किल्ड, सेमी स्किल्ड या अनस्किल्ड कैटिगरी में रखा जाएगा और उसी के हिसाब उनकी रोजाना की मजदूरी तय होगी। कैदियों को 30 से लेकर 90 रुपये रोज मजदूरी मिलती है। सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला ने बताया कि सिद्धू की दो-तीन सर्जरी पहले हो चुकी हैं। उन्हें लिवर और ब्लड क्लॉटिंग से जुड़ी बीमारियां रही हैं। उनकी 2015 में दिल्ली के अस्पताल में डीवीटी की सर्जरी हुई थी, जिसमें उनकी नसों में खून के थक्के बन गए थे। सुरिंदर ने कहा कि सिद्धू को जेल में अपनी बीमारी का ध्यान रखना होगा और गेहूं के आटे से बनी चीजों को खाने से बचना होगा।जेल में कैदियों का दिन सुबह साढ़े पांच बजे शुरू होता है। 7 बजे बिस्कुट आदि का नाश्ता मिलता है। सुबह साढ़े आठ बजे छह चपाती, दाल या सब्जी के साथ खाना मिलता है। उसके बाद कैदी काम पर जाते हैं। शाम को 5.30 बजे कैदियों का काम खत्म होता है। इस दौरान उन्हें कैटिगरी के हिसाब से काम आवंटित किया जाता है। शाम करीब 6 बजे कैदियों को खाना मिलता है। जिसमें छह रोटी, दाल या सब्जी दी जाती है। शाम 7 बजे तक सभी कैदियों को उनके बैरक में लॉक कर दिया जाता है।बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई है। सिद्धू का 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में गाड़ी पार्किंग को लेकर 65 साल के एक बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हो गया था। सिद्धू ने गुस्से में उन्हें मुक्का मार दिया। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। इस अपराध के लिए उन्हें अब एक साल की सजा सुनाई गई है।