संस्कृति के अस्तित्व को अक्षुण बनाये रखना आवष्यक

जौनपुर। तिलकधारी महाविद्यालय के भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में भारतीय संस्कृति के स्वरूप पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं तथा प्रकोष्ठ समिति के सदस्यों के बीच चर्चा संपन्न हुई। इस चर्चा के दौरान शिप्रा सोनी ,वैष्णवी, निकिता सोनी ,डाली वर्मा, ज्योति, सिद्धार्थ पाण्डेय, राम सिंह यादव एवं प्रवीण चैहान ने अपने विचार व्यक्त किए। समिति की सदस्य डॉ. पूनम सिंह ने कालिदास के विभिन्न साहित्य संदर्भित संस्कृति की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। डा. छाया सिंह ने भारतीय संस्कृति का वर्तमान परिप्रेक्ष में मूल्यांकन कर उसकी महत्ता को स्पष्ट किया। डॉ. नरेंद्र देव पाठक ने भारतीय संस्कृति को संगीत की विधा में किस प्रकार समायोजित कर परंपरा के रूप में संस्कृति के अस्तित्व को अक्षुण बनाए रखा है स्पष्ट किया। डॉ. रामजीत सिंह ने आदिवासी जनजाति से लेकर आधुनिक समाज में संस्कृति विकास के पक्ष को रखा। अंत में प्रकोष्ठ की समन्वयक डॉ. सुषमा सिंह ने भारतीय संस्कृति के महत्व को स्पष्ट करते हुए वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता को किस प्रकार स्वीकार कर उसे वसुधैव कुटुंबकम के रूप में प्रसारित किया जा सकता है पर प्रकाश डाला। अंत में समन्वयक ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया । अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक कुँवर शेखर गुप्ता ने संचालन किया।