चंदौली | लगातार बढ़ते तापमान और उमस में नवजात का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है| जो नवजात 28 या उससे कम दिनों के हैं, उनकी अलग से देखभाल की जरूरत है| नवजात को मां का ही दूध हर दो से तीन घंटे के अंतराल में पिलाते रहें| बच्चे का टीकाकरण नियमित रूप से करवाते रहें| शिशु के शरीर पर दाना या बुखार अगर कोई अन्य समस्या हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जरूर दिखाएं। यह कहना है राजकीय महिला चिकित्सालय (डीडीयू मुगलसराय) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश अगरिया का | डॉ राजेश ने बताया कि गर्मी में न केवल बड़े लोगों को हाइड्रेटेड (शरीर को जलयुक्त) रहने की जरूरत है, बल्कि शिशु को भी इसकी जरूरत है | चिकित्सालय में गर्मी से बीमार अब तक लगभग 30 बच्चों का इलाज किया गया | बच्चों को गर्मियों में बुखार, पीलिया, दस्त, फंगल इंफेशन, आँखों का इंफेशन की समस्या ज्यादा आ रही है | यदि जन्म के कुछ दिन बाद नीला, पीला, सुस्त या किसी तरह का इंफेशन दिखे तो तुरंत बालरोग विशेषज्ञ को दिखाएं| सावधानी – गर्मी के दिनों में शरीर में पानी की कमी हो जाती है| इसलिए शिशु को समय-समय पर पानी देते रहें| ध्यान रहे कि शिशु को छह माह तक सिर्फ माँ का दूध ही पिलाना है क्योंकि यह शिशु की सभी जरूरतों को पूरा करता है। सावधानी – गर्मी के दिनों में आमतौर पर लोग नवजात को पानी पिला देते है । उन्हें लगता है इससे बच्चें में पानी की कमी पूरी हो जाएगी । इसलिए ध्यान रहे नवजात को सिर्फ़ माँ का दूध ही पिलाना है । माँ के दूध में 90 प्रतिशत पानी होता है जोकि छः माह के बच्चें के लिए पर्याप्त है। बाहर का पानी देने से बच्चें को संक्रमण का ख़तरा रहता है । विशेष ध्यान – छह माह के उपर के बच्चों को स्तनपान के साथ तरल पदार्थ और ठोस आहार जरूर दें। रात में कभी भी खाली पेट शिशु को न सोने दें, छ; माह से ऊपर के बच्चों लगातार अंतराल पर दूध व अन्य तरल पदार्थ पिलाते रहें | धात्री माताएँ भोजन का ख्याल रखें, क्योंकि माँ के आहार में अंतर होने से बच्चे का पेट ख़राब हो सकता है |धूप में न जाने दें| ऐसे में बच्चों को लू से बचाएं। घर में जिंक ओआरएस का पाउडर रखें। अगर बच्चों को दस्त एवं उल्टी या बुखार का लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। उचित सलाह लेकर ही उपचार शुरू करें|बच्चे को आरामदायक और ढीले कपडे पहनाएं जिससे शरीर की त्वचा बिना रूकावट के सांस ले सकें। बाहर जाने पर बच्चे को कम और ढीले कपडे पहनाएं। शिशु को नैपी न पहनाएं | शिशु को गहरी नींद बेहद जरूरी है इसलिए मछरों से बचने के लिए उचित इंतेज़ाम करें|गर्मी के कारण बच्चे को बहुत पसीना होता है, जिसकी वजह से त्वचा में लाल दाने व त्वचा का संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चे को दिन में नहलाना बहुत जरूरी है | गर्मी के मौसम में शिशु की साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें| दिन में कम से कम दो बार शिशु के कपड़े बदले | शिशु की जांघों पर और नहलाने के बाद टैलकम पाउडर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं| गर्मी के मौसम से नवजात की विशेष देखभाल करना और भी आवश्यक हो जाता है | घर की खिड़की और दरवाजे खुले रखें ताकि बच्चे को हवा मिलती रहें, अगर गरम हवा और लू का हो तो खिड़की और दरवाजों को बंद रखना ही बेहतर है|
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