नयी दिल्ली।मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने सोमवार को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जमशेद बरजोर परदीवाला को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई।इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय में अब सभी पदों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति कर दी गयी है। नवंबर 2019 के बाद पहली बार यह उपलब्धि हासिल की गयी है। उच्चतम न्यायालय में 34 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं।न्यायमूर्ति विनीत सरन के 11 मई को सेवानिवृत्त होने पर हालांकि उच्चतम न्यायालय में फिर न्यायाधीशों की संख्या घटकर 33 रह जायेगी।गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने हाल ही में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे बी परदीवाला काे उच्चतम नयायालय में न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी।कॉलेजियम की सिफारिश के बाद केन्द्र सरकार ने इन दोनों न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की थी।न्यायमूर्ति नागेश्वर राव सात जून को सेवानिवृत्त होंगे, उनके सेवानिवृत्त होने के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की दो रिक्तियां हो जायेंगी।न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया का जन्म उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) पौड़ी गढ़वाल जिले के दूरदराज गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून, इलाहाबाद और सैनिक स्कूल लखनऊ में हुई। उन्होंने कानून की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय में की।उन्होंने 1986 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और उत्तराखंड गठन के बाद 2000 में वह नैनीताल उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने आ गये। वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पहले मुख्य स्थायी अधिवक्ता बनाये गये, बाद में उन्हें अतिरिक्त महाधिवक्ता बनाया गया। उन्हें 2008 में उत्तराखंड न्यायालय में ही न्यायाधीश बनाया गया। वर्ष 2021 में वह गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनाये गये।न्यायमूर्ति पारदीवाला का जन्म मुम्बई में हुआ और स्कूली शिक्षा दक्षिण गुजरात के उनके गृह नगर वलसाड में हुई। वहां से उन्होंने जे पी आर्ट्स कालेज से स्नातक डिग्री हासिल की और वलसाड के ही के एम मुजली लॉ कालेज से 1988 में विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनके परिवार में पहले भी कई लोग कानूनी पेशे से जुड़े रहे हैं। उनके दिवंगत पिता पुरजोर कवास जी पारदीवाला पेशे से वकील थे और वह दिसंबर 1989 से मार्च 1990 तक गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष रहे।न्यायमूर्ति पारदीवाला ने 1990 मे गुजरात उच्च न्यायालय वकालत शुरू की। वह 2002 से गुजरात उच्च न्यायालय के स्थायी अधिवक्ता थे, इस जिम्मेदारी को निभाते हुए उन्हें 17 फरवरी 2011 को गुजरात उच्च न्यायालय में अस्थायी न्यायाधीश बनाया गया। अट्ठाइस जनवरी 2013 को उन्हें वहीं स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।
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