नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव अब दिखने लगे है। दक्षिण एशियाई इलाकों में हीटवेव अपना कहर दिखा रहा है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले दो महीनों में भारत और पाकिस्तान में विनाशकारी गर्मी देखने को मिली है। हीटवेव के कारण हजारों लोगों की जान जा सकती है। वैज्ञानिकों ने ये भी चेतावनी दी है कि अगर जलवायु परिवर्तन को नहीं रोका गया तो इससे भी बदतर हालात पैदा हो सकते हैं। इस सप्ताह पब्लिश किए गए एक शोध में वैज्ञानिकों ने ये भी कहा कि अगर ग्लोबल वार्मिंग न भी हो तो भी दक्षिण एशिया गर्म ही रहता है।मार्च और अप्रैल में भारत और पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में गर्मी देखने को मिली है। 100 करोड़ से ज्यादा लोग इस समय 40 डिग्री सेल्सियस के झुलसाने वाले तापमान में रह रहे हैं। जबकि अभी साल के सबसे गर्म दिन आने बाकी हैं। जलवायु विज्ञान अनुसंधान करने वाली एक गैर लाभकारी संस्था बर्कले अर्थ के प्रमुख वैज्ञानिक रॉबर्ट रोडे ने ट्वीट कर चेतावनी दी है कि ये हीटवेव जानलेवा साबित हो सकती है और इससे हजारों लोगों की जान जा सकती है। इसमें सबसे ज्यादा बुजुर्ग प्रभावित होंगे।भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, 1980 के बाद से भारत में हीटवेव मृत्यु दर में अब तक 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के प्रमुख पेटेरी तालस ने कहा कि गर्मी का सबसे ज्यादा बुरा असर कृषि, ऊर्जा उत्पादन और पानी पर पड़ रहा है। हवा की गुणवत्ता खराब हुई है और बड़े पैमाने पर आग लगने का खतरा बढ़ा है। बिजली की डिमांड भी तेजी से बड़ी है, जिसके कारण पिछले हफ्ते ब्लैकआउट देखने को मिला। उन्होंने कहा कि मौसाम वैज्ञानिकों के लिए ये कोई अचंभा नहीं है। हवाई विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कैमिलो मोरा ने कहा, ‘मुझे सबसे ज्यादा अजीब बात ये लगी है कि ज्यादातर लोगों को इस तरह की हीटवेव से झटका लगा है, जबकि वैज्ञानिक ऐसी आपदाओं के बारे में चेतावनी देते रहे हैं। दुनिया का ये हिस्सा और अधिकांश उष्णकटिबंधीय क्षेत्र हीटवेव के लिए संवेदनशील हैं।’
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