जौनपुर। सरजू प्रसाद शैक्षिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था जज कॉलोनी के तत्वाधान में विधिक जागरूकता शिविर किशोर न्याय अधिनियम के तहत आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जन शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर सुधा सिंह ने दीप प्रज्वलित करके किया। उन्होने कहा कि पंचायतों के प्रतिनिधियों के माध्यम से जन जागरूकता बाल विवाह के संदर्भ में बड़े पैमाने पर की जा सकती है। अध्यक्षता करते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण के मध्यस्थता अधिकारी डॉ0 दिलीप सिंह ने कहा कि बाल विवाह पर पूरी दुनिया में लगभग सभी देश में प्राचीनतम काल से विद्यमान रहा है लेकिन भारत में ज्ञात आंकड़ों में सबसे अधिक पूरी दुनिया में बाल विवाह होता है। एक आंकड़े के अनुसार दुनिया के सारे बाल विवाह का 40ः भारत में होता है । इसमें हिमाचल प्रदेश में सबसे कम 9ः बाल विवाह होता है। सबसे अधिक बाल विवाह राजस्थान में होता है। शारदा एक्ट में सर्वप्रथम 1929 में बाल विवाह की सीमा 14 से 18 वर्ष मानी गई थी । जिसे 1978 में बढ़ाकर कम से 18 से 21 वर्ष कर दिया गया था लेकिन 2021 में यह आयु सीमा बालक – बालिकाओं का दोनों समान रूप से 21 वर्ष कर दिया गया है। मुख्य अतिथि जिला प्रोबेशन अधिकारी अभय कुमार ने कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है इसके लिए 2 साल तक की कड़ी कैद या एक लाख तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है। बाल विवाह को रोकने के लिए अदालत निषेधाज्ञा जारी कर सकती है। संचालन करते हुए साहित्यकार गिरीश कुमार श्रीवास्तव गिरीश ने कहा कि बाल विवाह हमारे सभ्य समाज के लिए एक कलंक है। श्रीमती सुषमा सिंह रिपुदमन सिंह समन्वयक मनोज कुमार पाल छाया उपाध्याय ललितेश मिश्र लक्ष्मी नारायण यादव दिनेश मौर्य इत्यादि लोग उपस्थित रहे। आयोजक पूर्व चेयरमैन चाइल्ड वेलफेयर कमेटी/ संस्था सचिव संजय उपाध्याय ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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