नई दिल्ली । सरकार कच्चे पाम तेल के आयात पर कृषि इन्फ्रा और डेवलपमेंट सेस को पांच फीसदी से कम करने पर विचार कर रही है। जिसके बाद खाने के तेल की कीमतें कम हो सकती हैं। यह कटौती कितनी होगी, अभी कहा नहीं जा सकता है। हाल ही में सेस को 7.5 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया गया था। सेस कुछ उत्पादों पर मूल टैक्स के बाद लगाया जाता है। इसका इस्तेमाल कृषि क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के खर्च पर किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो साल से भारत में खाद्य तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद सूरजमुखी तेल का निर्यात बंद हो गया है। इंडोनेशिया ने भी पाम तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में पाम तेल और सोयाबीन तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी से घरेलू बाजार में खाद्य तेल के दाम बढ़े हैं। हालांकि, भारत ने कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं,लेकिन बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ। भारत अपनी कुल जरूरतों का 60 फीसदी वनस्पति तेल आयात करता है। सूत्रों का कहना है कि सरकार के पास खाद्य तेल की कीमतों में राहत देने के लिए सेस में कटौती के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस पर चर्चा चल रही है।
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