मोबाइल रेडिएशन का प्रभाव गर्भ में बच्‍चे पर भी

नई दिल्ली । एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, येल स्‍कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए शोध में पाया गया है कि अत्‍यधिक मोबाइल रेडिएशन में अगर गर्भवती मां रहती है तो जन्‍म के बाद बच्‍चे को जीवन भर बिहेवियर प्रॉब्‍लम से गुजरना पड़ता है। यही नहीं, इसकी वजह से गर्भ में पल रहे बच्‍चे के मानसिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि प्रेग्‍नेंसी के दौरान मोबाइल फोन के इस्‍तेमाल से बच्‍चे को क्‍या नुकसान हो सकता है और हम इससे कैसे बच सकते हैं।दरअसल जब हम मोबाइल, लैपटॉप या किसी भी तरह के वाइफाई या वायरलेस डिवाइस के संपर्क में आते हैं तो इससे हर वक्‍त इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक रेडियो वेव्‍स निकलते रहते हैं। ये वेव्‍स हमारे शरीर के डीएनए को डैमेज करने की क्षमता रखते हैं और हमारे शरीर में बन रहे जीवित सेल्‍स के मोलक्‍यूल्‍स को बदल सकते हैं। जिसका असर लॉग टर्म काफी खतरनाक हो सकता है। चूंकि भ्रूण हर वक्‍त ग्रोथ कर रहा है ऐसे में उसके डीएनए और लीविंग सेल्‍स आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं। जिसका दूरगामी असर भी काफी खतरनाक हो सकता है।अलग अलग शोधों में पाया गया कि मोबाइल के इस्‍तेमाल से बच्‍चे पर कोई खास असर नहीं पड़ता लेकिन अगर मां और बच्‍चा 24 घंटे मोबाइल रेडिएशन के बीच हैं तो बच्‍चे की मेमो‍री, ब्रेन ग्रोथ और बिहेवियर में खतरनाक रूप से समस्‍या आ सकती है। शोधों में यह भी पाया किया गया कि प्री और पोस्‍ट डिलीवरी के बाद ऐसे बच्‍चों में हाइपरटेंशन की समस्‍या हो जाती है जो समय के साथ बढ़ती जाती है। यही नहीं, बच्‍चे की भाषा, संचार पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। मालूम हो कि हम सभी सुनते आए हैं कि अधिक मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। खासतौर पर प्रेग्‍नेंट महिला और उसके पेट में पल रहे बच्‍चे के लिए ये और भी खतरनाक हो सकता है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान मोबाइल फोन के इस्‍तेमाल से पेट में पल रहे बच्‍चे के विकास पर बुरा असर पड़ता है और इसकी वजह से प्रीमेच्‍योर डिलीवरी तक हो सकती है।