बर्लिन। रूस और यूक्रेन के बीच 69 दिनों से जंग जारी है। रूस कई बार परमाणु हमले की धमकी दे चुका है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा है कि विश्व के नेताओं को रूस के परमाणु विस्तार के खतरों पर सतर्क रहना चाहिए। जर्मन चांसलर शोल्ज ने युद्धग्रस्त यूक्रेन के लिए और समर्थन का वादा किया है। शोल्ज ने दावा किया कि क्रेमलिन में काम कर रहे कई लोग अभी तक समझ नहीं सके हैं, कि यूक्रेन पर रूस का आक्रमण वास्तव में मॉस्को के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आ रहा है। उन्होंने यूरोप की सुरक्षा की एक धूमिल तस्वीर भी चित्रित की। शोल्ज ने कहा कि यूरोप महाद्वीप एक आपातकाल से गुजर रहा है, जहां मामला जीने और मरने का है। जर्मन चांसलर ने रूस के परमाणु हमले के संभावित खतरे के बारे में कहा, इस युद्ध को देखकर हमें सब कुछ गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब बर्लिन का काम उन हथियारों के इस्तेमाल को रोकना है। शोल्ज ने कहा कि जंग के बीच रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को तब तक नहीं हटाया जाएगा, जब तक कि उसका यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं होता। पश्चिम देशों को पुतिन के बारे में कोई भ्रम नहीं रखना चाहिए, वहां कुछ भी कर सकते हैं।स्कोल्ज ने कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम वर्तमान में एक खतरनाक और यहां तक कि नाटकीय स्थिति में हैं। दो महीने से अधिक के सैन्य संघर्ष पर विचार करते हुए हमें ये उम्मीद तब कतई नहीं करनी चाहिए कि नतीजे बुरे नहीं होने वाले हैं। जर्मनी के यूक्रेन को भारी हथियारों की पहली डिलीवरी की घोषणा के कुछ दिनों बाद जर्मन चांसलर ने कहा, कई लोग डरते हैं कि युद्ध यूरोपीय संघ के देशों में फैल जाएगा। हालांकि, इस दौरान जर्मन चांसलर ने यूक्रेन के प्रतिरोध की प्रशंसा भी की। उन्होंने कहा, जिस तरह से यूक्रेन बड़ी बहादुरी और बड़ी चतुराई से अपना बचाव कर रहा है।उससे हमलोगों को भी सीख लेनी चाहिए। यूक्रेनी सैन्य नेतृत्व का प्रदर्शन प्रभावशाली और शानदार है। खबर आ रही है कि रूस का जासूसी ड्रोन लगातार जर्मनी के खाली हवाई क्षेत्र पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। मानव रहित ‘आरक्यू-4 ग्लोबल हॉक’ नाम का ये ड्रोन घंटों तक यूक्रेन के आसमान में चक्कर लगाता रहता है। हाल ही में इसी तरह के जासूसी ड्रोन स्वीडन और डेनमार्क के एयरस्पेस पर देखे गए थे। शोल्ज का कहना है कि उन्हें कोई संदेह नहीं है कि जर्मनी को युद्ध में रूस के खिलाफ युक्रेन के साथ ही खड़ा होना है। इस संदर्भ में यह देखना भी जरूरी है कि यूक्रेन सरकार की जर्मनी से उम्मीदें भी बढ़ती दिख रही है। वे जर्मनी से हथियारों की आपूर्ति की मांग को लेकर लगातार सवाल कर रहे हैं। लेकिन तेल और गैस के मामले में जर्मनी ने रूस से पूरी तरह से अभी पल्ला नहीं झाड़ा है।
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