लंदन । वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद दावा किया है कि जीवाश्म विज्ञान में पृथ्वी पर अब तक की पाई गईं सबसे बड़ी शार्क बहुत खतरनाक हुआ करती थीं। मेगालोडोन नाम की इन शार्क के बारे में जीवाश्म रिकॉर्ड से पता चला है। इस र्शाक के बहुत ही बड़े दांतों ने इनके बारे में सबसे ज्यादा जानकारी दी है जो लाखों-करोड़ों साल तक जीवाश्म में बचे रह गए। इन शार्क के कार्टिलेज ढांचा जीवाश्म में कभी सुरक्षित नहीं रह सका और सड़ गल कर अपघटित हो गया था।अब तक वैज्ञानिकों ने इनके दांतों के आकार से ही इनके विशालकाय शरीर के आकार का अनुमान लगाया था। उनके जबड़े में ही इंसान के लिए एक कमरे जैसी हुआ करता थी। केवल दातों से ही शार्क (और कुछ रीढ़दारी जानवरों), खास कर विलुप्त हो चुके जीवों के आकार का अनुमान लगाना एक सटीक विज्ञान नहीं है। पुरातन शार्क आधुनिक शार्क से बहुत ही अलग तरह से बनी थीं जो आकारविज्ञान की विविधता का परिचय देता है। मेगालोडोन के आकार के बारे में अब तक के अनुमानों के मुताबिक इनकी लंबाई 11 से 40 मीटर के बीच हुआ करती थी। तमाम शोध के अनुमान बताते हैं कि वास्तव में इनकी लंबाई औसतन 15 से 18 मीटर के बीच हुआ करती थी। लेकिन मेगालोडोन के दांतों की चौड़ाई के आधार पर उनके आकार का अनुमान लगाने की नई तकनीक बताती है कि ये आंकलन वास्तविकता से कम है। इस तकनीक के मुताबिक इस विशाल शार्क का सही आकार करीब बीस मीटर लंबा रहा होगा। यह तकनीक एक संयोगवश खोज है जो छात्रों की मदद से की गई थी। जर्मनी के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के जीवाश्मविज्ञानी रूनी माइक लेडर ने बताया कि वे इससे बहुत हैरान हुए क्योंकि इससे पहले किसी ने इस बारे में नहीं सोचा। लेडर ने बताया कि उनका मॉडल पिछली प्रयासों से ज्यादा स्थायी है। यह सहयोग कार्य इस बाद का शानदार उदाहरण है कि क्यों नए और शौकिया जीवाश्मविज्ञानियों के साथ काम करना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। मेगालोडन की हड्डी के ढांचे जीवाश्म रिकॉर्ड में से गायब हैं लेकिन केवल दांत ही हैं जो बहुतायत में पाए गए हैं।मेगालोडोन आज से 2.3 करोड़ से लकर 36 लाख साल पहले तक हमारे महासागरों पर राज किया करते थे। शार्क लागातार अपने दांत गिराती रहती हैं और उनके नए दांत जीवन भर आते रहते हैं और मरने से पहले वे करीब चार हजार दांत उगा लेती हैं। एक समय में मेगालोडोन में 276 दांत होते हैं। यह बहुत सारे दांत होते हैं। जब शोधकर्ता छात्रों के साथ थ्री डी प्रिंटिंड दांतों की नकल का उपोयग कर काम कर रहे थे तो कुछ गड़बड़ हुई। ध्यान देने पर पाया गया कि समीकरण ही गलत है। एक फ्रेंच पेशेवर जीवाश्मविज्ञानी टेडी बैडॉट ने इसका समाधान सुझाया और दांतों की लंबाई की जगह चौड़ाई का उपयोग करने की सलाह दी। फिर नया समीकरण बना और उसे पुरानी गणनाओं पर जांचा गया तो शार्क की नई लंबाई निकल सामने आने लगीं।