नई दिल्ली । दुनिया के सबसे महंगे आम का दर्जा जापानी आम की एक किस्म को मिला हुआ है। ताईयो नो तामागो नाम का ये आम वहां के मियाजारी प्रांत में पैदा होता है। इस आम में मिठास के साथ अन्नास और नारियल का हल्का सा स्वाद भी आता है। इसे एक खास तरीके से तैयार करते हैं।इसके तहत आम के पेड़ पर फल आते ही एक-एक फल को जालीदार कपड़े से बांध दिया जाता है। ये इस तरह होता है कि फल पर पूरी तरह से धूप पड़े, जबकि जाली वाले हिस्से बचे रहें। इससे आम की रंगत ही अलग होती है। पकने के बाद फल जाली में ही गिरकर लटकते हैं, तब जाकर उन्हें निकाला और बेचा जाता है। पेड़ पर लगे आम को किसान नहीं तोड़ते। वे मानते हैं कि इससे फल का स्वाद और पौष्टिकता चली जाती है। यानी जापानी किसानों की नजरों से देखें तो ताईयो नो तामागो पूरी तरह से पका हुआ फल है। और ऐसा है भी।ये खाने में बेहद स्वादिष्ट और सुगंधित होता है।इसकी कीमत भी इसके स्वाद जितनी बढ़ी-चढ़ी है। ये मार्केट में फलों की दुकानों पर नहीं मिलता, बल्कि इसकी बोली लगती है। नीलामी में सबसे ज्यादा कीमत देने वाले के हाथ ये फल लगता है। जैसे साल 2017 में दो आमों की कीमत लगभग 2 लाख 72 हजार रुपए थी। यहां ये भी जान लें कि एक आम लगभग 350 ग्राम का होता है। यानी एक किलो से भी कम आम के लिए पौने 3 लाख रुपए दिए गए।ताईयो नो तामागो आम को जापानी कल्चर में भी खूब मान्यता मिली हुई है। इसे एग ऑफ द सन कहते हैं क्योंकि ये सूरज की रोशनी में तैयार होता है। साथ ही लोग इसे तोहफे में देते हैं। माना जाता है कि इससे तोहफा पाने वाले की किस्मत सूरज जैसी ही रोशन हो जाती है। यही कारण है कि जापान में त्योहार या खास मौकों पर ये आम भी दिया जाता है। लेकिन लेने वाले इसे खाते नहीं, बल्कि किसी तरीके से संरक्षित करके सजा देते हैं।जापानी आम की ये किस्म अब तक वहीं पर तैयार होती रही लेकिन अब इस बारे में भी नई-नई खबरें आ रही हैं। जैसे मध्यप्रदेश के जबलपुर में इस आम की खेती की बात हो रही है। एक निजी किसान ने अपने खेत में प्रयोग के तौर पर इसे लगाया था और उसका दावा है कि आम फलने भी लगे हैं।कथित तौर पर बीते 3 साल ये आम फलने लगे हैं और इंटरनेशनल मार्केट में जा रहे हैं। भारत के सबसे महंगे आम की बात करें तो अल्फांसो या हापुस आम सबसे महंगा है। इसे इतना स्वादिष्ट मानते हैं कि स्वर्गबूटी भी कहते हैं। लगभग 300 ग्राम तक वजनी ये आम काफी मीठा और शानदार सुगंध लिए होता है। इसे जीआई टैग भी मिल चुका है और इंटरनेशनल मार्केट में इसकी भारी मांग है। यूरोप और जापान में हमेशा से इसकी डिमांड रही तो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अलफांसो की पूछ बढ़ने लगी है।
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